सीमा पार से कश्मीरी पंडितों और सिखों को लगातार बनाया जा रहा निशाना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कश्मीर न केवल भारत का बहुसंख्यक मुस्लिम प्रांत है, बल्कि यह कश्मीरी पंडितों और सिख समुदाय का भी घर है, जिन्हें सीमा पार से बलों द्वारा उनकी भूमि से निर्वासित किया गया है। ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा ने शनिवार को एक बयान में यह टिप्पणी की। इसने कहा कि कश्मीर एक ऐसे समुदाय का घर है, जिसने 22 अक्टूबर, 1947 से नरसंहार, क्रूर हमलों और लक्षित हत्याओं की भयावहता को देखा है।
ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा (जीकेपीडी) थाईलैंड चैप्टर ने शनिवार को बैंकॉक में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे सीमा पार से कश्मीर के अल्पसंख्यक समुदायों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। कार्यक्रम का आयोजन डी. के. बख्शी के नेतृत्व में किया गया, जोकि जीकेपीडी चैप्टर हेड हैं, जिन्होंने 22 अक्टूबर 1947 को कश्मीर के इतिहास में एक काले दिन के रूप में मनाया। थाईलैंड, थाई भारतीयों और भारतीय समुदाय के लगभग 50 प्रतिभागियों ने शारीरिक रूप से और अन्य लोगों ने वर्चुअल तरीके से इस कार्यक्रम में भाग लिया। सामूहिक पलायन से जुड़ी अपनी व्यक्तिगत पीड़ा और दर्द को साझा करते हुए, बख्शी ने कहा कि कश्मीरी पंडितों और सिखों के अल्पसंख्यक समुदायों को सीमा पार से लगातार निशाना बनाया गया है।
जीकेपीडी के वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए कहा, कश्मीर के इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ 22 अक्टूबर, 1947 को भारतीय राज्य जम्मू एवं कश्मीर पर पाकिस्तानी सैनिकों के साथ पाकिस्तान के आदिवासियों द्वारा आक्रमण के साथ आया, जिसने एक अध्याय खोला - दक्षिण एशिया में सबसे खूनी, सबसे क्रूर जातीय सफाई (एक समुदाय पर जुल्म करते हुए उसे खदेड़ना), जो दुर्भाग्य से आज भी जारी है। कार्यक्रम में शामिल होने वाले प्रमुख वक्ताओं में किरण बेदी शामिल हैं, जिन्होंने 22 अक्टूबर 1947 को लेकर ब्लैक डे के साथ एकजुटता व्यक्त की और कहा कि कश्मीरी पंडित और सिख समुदाय दशकों से नरसंहार का शिकार रहे हैं।
(आईएएनएस)
Created On :   23 Oct 2021 3:00 PM GMT