आजादी मिलने से पहले 18 साल तक 26 जनवरी को मनता रहा स्वतंत्रता दिवस, जानिए क्या है पूरी कहानी
- हिंदुस्तान का क्रांतिकारी इतिहास 26 जनवरी 1930 को रचा गया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 26 जनवरी का दिन हर साल गणतंत्र दिवस के नाम से ही मनाया जाता रहा है। कभी इसे स्वतंत्रता दिवस बोलने की भूल भर हो जाए तो ही लोग गलती गिनाना शुरू कर देते हैं। क्या आप जानते हैं कि ये दिन कभी वाकई में स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता था। वो भी एक या दो साल नहीं पूरे 18 साल तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के नाम से ही मनाया जाता रहा। उस वक्त 15 अगस्त पर जश्न मनाने का कोई रिवाज नहीं था। क्योंकि तब तक देश आजाद ही नहीं हुआ था।
1930 में 26 जनवरी ने रचा इतिहास
हिंदुस्तान का ये क्रांतिकारी इतिहास 26 जनवरी 1930 को रचा गया। जिसकी नींव पड़ी दिसंबर 1929 में। जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर में एक अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव रखा। जिसमें कहा गया कि 26 जनवरी 1930 तक अगर अंग्रेज उन्हें डोमिनियम नहीं बनाती है तो भारत खुद को स्वतंत्र घोषित कर देगा। प्रस्ताव पास हुआ और 26 जनवरी 1930 का दिन आ गया। लेकिन अंग्रेजों ने इसे नहीं माना। भारत को उसका प्रभुत्व नहीं दिया।
जिसके बाद कांग्रेस ने खुद ही 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस घोषित कर दिया। इसके बाद सक्रिय आंदोलनों का सिलसिला भी शुरू हुआ। जवाहर लाल नेहरू ने 26 जनवरी 1930 क भारत का झंडा भी फहरा दिया। लेकिन आंदोलन का सिलसिला चलता रहा। ब्रितानिया हुकूमत ने 1947 में देश को आजाद किया। इससे पहले हर साल आंदोलनकारी 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाते रहे और तिरंगा फहराते रहे।
26 जनवरी यूं बना गणतंत्र दिवस
अंग्रेजों ने 15 अगस्त 1947 को आधिकारिक रूप से भारत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया। जिसके बाद जाहिरतौर पर स्वाधिनता दिवस इसी दिन मनाया जाना था। आजादी के लिए आंदोलन करने वालों की ख्वाहिश ये थी कि 26 जनवरी का महत्व भी खत्म नहीं होना चाहिए। आजादी मिलने के तीन साल बाद देश का अपना संविधान लागू हुआ। बाबा साहेब अंबेडकर के लिए इस संविधान को और 26 जनवरी के ऐतिहासिक दिन को यादगार बनाने के लिए संविधान 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया।
ऐसे बना संविधान
संविधान निर्माता के नाम से प्रसिद्ध बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने तकरीबन 2 साल और 11 महीने से ज्यादा का वक्त लेकर संविधान लिखा। संविधान निर्माण के लिए 22 समितियां बनाई गई थीं। जिसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण थी प्रारूप समिति। बाबा साहेब इसी समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद को संविधान सौंपा। जिसे आने वाली 26 जनवरी यानि 26 जनवरी 1950 में लागू कर दिया गया।
Created On :   25 Jan 2022 6:26 PM IST