पंजाब घमासान में उलझे हरीश रावत, क्या उत्तराखंड को दांव पर लगा रही है कांग्रेस?

Harish Rawat embroiled in Punjab controversy, is Congress putting Uttarakhand at stake?
पंजाब घमासान में उलझे हरीश रावत, क्या उत्तराखंड को दांव पर लगा रही है कांग्रेस?
मझधार में रावत पंजाब घमासान में उलझे हरीश रावत, क्या उत्तराखंड को दांव पर लगा रही है कांग्रेस?
हाईलाइट
  • दो नाव पर सवार रावत
  • क्या होगा अंजाम?

डिजिटल डेस्क, देहरादून। कांग्रेस महासचिव हरीश रावत पंजाब पार्टी के प्रभारी के साथ-साथ उत्तराखंड के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हैं। ऐसे में रावत बीच मझधार में फंसे नजर आ रहे हैं। पंजाब के सियासी घमासान के चलते रावत का एक पैर चंडीगढ़ तो दूसरा पैर देहरादून में रहता है। वो न तो ठीक से समय पंजाब को दे पा रहें हैं, और न ही उत्तराखंड चुनाव पर ध्यान दे पा रहे हैं। पंजाब और उत्तराखंड में अगले साल की शुरूआत में ही एक साथ विधानसभा चुनाव होने हैं। पंजाब राजनीति में हलचल की वजह से उत्तराखंड की राजनीति में ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। उधर कांग्रेस पार्टी को इस बात का डर सता रहा है कि रावत के एक साथ दो नाव पर पैर होने के कारण पार्टी को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। 
पंजाब में कैप्टन और सिद्धू के बीच अभी भी खींचतान जारी है। जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी आगामी 2022 की चुनावी रफ्तार भी नहीं पकड़ पा रही है। हरीश रावत पंजाब और उत्तराखंड के बीच इस वक्त झूले की तरह झूल रहे हैं। इन विवादों के चलते हरीश रावत पहले से भी अपने पद से हटने का मन बना चुके हैं। सूत्रों की माने तो कांग्रेस आलाकमान से भी रावत पंजाब पार्टी प्रभारी पद से हटने की इच्छा जता चुके हैं। बता दें कि हरीश रावत फिलहाल उत्तराखंड में कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं। उन्हें 2022 का भी चेहरा माना जा रहा है। हाल ही में कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत के मन मुताबिक उत्तराखंड में बड़ा फेरबदल किया गया है।

टीम तैयार, रावत नदारद!

उत्तराखंड में कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी होने के नाते इस बार चुनाव की कमान हरीश रावत के हाथ में है। साथ ही हरीश रावत ने अपने खास गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनवाकर टिकटों के वितरण में भी अपनी भूमिका तय कर रखी है। हरीश रावत ने सियासी शतरंज जो बिछाई थी, उस पर वह बाजी जीतने की ओर अग्रसर प्रतीत हो रहे हैं। चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनना और अपनी पसंद के नेता को अध्यक्ष बनवाना इसके प्रमाण के तौर पर देखे जा रहे हैं। कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति में भी ज्यादातर नेता रावत कैम्प के हैं। इसके बावजूद वो उत्तराखंड से ज्यादा समय पंजाब में बिता रहे हैं, जिससे चुनाव की तैयारियों पर असर पड़ रहा हैं। रावत के करीबी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पंजाब पार्टी में कलह होने के चलते अभी तक वो राज्य में न चुनाव यात्रा शुरू कर सके हैं और न ही कोई दौरा कर पा रहे हैं। कई बार ऐसी स्थिति बनी है कि बैठक रखने के बावजूद भी कैंसिल करके पंजाब जाना पड़ा है। 
उत्तराखंड में वापसी की फिक्र
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है तो कैप्टन अमरिंदर सिंह का पंजाब में अपना सियासी कद है। ऐसे में हरीश रावत दोनों ही नेता के बीच बैलेंस बनाने के खातिर अपना सियासी बैलेंस बिगाड़ते जा रहे हैं। ऐसे में पंजाब के चक्कर में कांग्रेस की कहीं उत्तराखंड में सत्ता की वापसी पर ग्रहण न लग जाए। क्योंकि रावत का समय उत्तराखंड से ज्यादा पंजाब और दिल्ली में बीत रहा है। पंजाब कांग्रेस में सियासी उठापटक के बीच राज्य में पार्टी के प्रभारी हरीश रावत ने गुरूवार को कहा कि पंजाब कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। रावत के बयान का यह भी मतलब है कि इतने महीनों से चल रहे कांग्रेस पंजाब पार्टी के आपसी घमासान खत्म होते नहीं दिख रहा। क्योंकि दोनों ही खेमे कम नहीं हैं। 
 

Created On :   3 Sept 2021 5:25 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story