दिल्ली हाईकोर्ट ने लैपटॉप जब्त करने के खिलाफ मोहम्मद जुबैर की याचिका पर पुलिस से मांगा जवाब

Delhi High Court seeks response from police on Mohammad Zubairs plea against confiscation of laptop
दिल्ली हाईकोर्ट ने लैपटॉप जब्त करने के खिलाफ मोहम्मद जुबैर की याचिका पर पुलिस से मांगा जवाब
नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने लैपटॉप जब्त करने के खिलाफ मोहम्मद जुबैर की याचिका पर पुलिस से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की उस याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने 2018 के विवादास्पद ट्वीट मामले के संबंध में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी पुलिस हिरासत और उनके लैपटॉप की जांच की अनुमति दी गई थी।

जुबैर प्राथमिकी में आरोप से परे होने के कारण पुलिस द्वारा जब्त किए गए उपकरण, लैपटॉप या दस्तावेज की बहाली की मांग कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने पुलिस को याचिका पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया। अदालत ने फैक्ट-चेकर (तथ्य-जांचकर्ता) जुबैर को जवाब में प्रत्युत्तर और अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की आजादी भी दी।

1 जुलाई को, न्यायमूर्ति संजीव नरूला की अवकाश पीठ ने याचिका पर विचार करते हुए पुलिस को दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में, जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अर्नेश कुमार दिशानिर्देशों के उल्लंघन में गिरफ्तार किया गया है और यह उनकी पत्रकारिता की स्वतंत्रता को भंग करने का एक प्रयास था और पुलिस ने उनका मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त कर लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते जुबैर को उनके ट्वीट पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा विभिन्न जिलों में दर्ज सभी छह प्राथमिकी के संबंध में जमानत दे दी थी और इन प्राथमिकी को दिल्ली प्राथमिकी के साथ जोड़ दिया था।

शीर्ष अदालत ने यूपी पुलिस के सभी मामलों में जुबैर को जमानत देकर उनकी याचिका का निपटारा कर दिया और उन्हें मामलों को रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की भी छूट दी। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसके निर्देश भविष्य के उन मामलों पर लागू होंगे, जो उन ट्वीट्स के आधार पर दर्ज किए गए थे, जो पिछली प्राथमिकी का हिस्सा थे।

पिछले महीने, मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, पटियाला हाउस कोर्ट, स्निग्धा सरवरिया ने 2018 में माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर पर किए गए एक ट्वीट के संबंध में जुबैर को दिल्ली पुलिस को हिरासत में लेने की अनुमति दी थी, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया था।

मामले की फॉलो-अप कार्रवाई में, दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ (स्पेशल सेल) ने जुबैर से उनका लैपटॉप बरामद करने के लिए बेंगलुरु के लिए उड़ान भरी थी। पुलिस की ओर से वह लैपटॉप बरामद किया गया था, जिसका उपयोग जुबैर ने सोशल मीडिया साइटों पर विभिन्न सामग्री (कंटेंट) अपलोड करने के लिए किया था।

जुबैर पर उनके एक आपत्तिजनक ट्वीट के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और 295ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को भड़काना या धर्म का अपमान करने का इरादा) के तहत आरोप लगाया गया था।

प्राथमिकी में कहा गया है, इस तरह के पोस्ट का प्रसारण और प्रकाशन जानबूझकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं का अपमान करने की मंशा के साथ शांति भंग करने के इरादे से किया गया है।

प्राथमिकी के अनुसार, आरोपी जुबैर ने एक पुरानी हिंदी फिल्म के स्क्रीनग्रैब का इस्तेमाल किया था, जिसमें एक होटल की तस्वीर दिखाई दे रही थी, जिसके बोर्ड पर हनीमून होटल के बजाय हनुमान होटल लिखा हुआ था। जुबैर ने अपने ट्वीट में लिखा था, 2014 से पहले: हनीमून होटल। 2014 के बाद: हनुमान होटल।

 

 

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Created On :   27 July 2022 10:30 AM GMT

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