100 भारतीय सैनिक पड़े थे 400 से ज्यादा चीनियों पर भारी, नए स्मारक के साथ सरकार देगी सम्मान
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- चार्ली कंपनी ने माइनस 25 डिग्री में नहीं मानी थी हार
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। भारत-चीन के 1962 में हुए युद्ध की याद आज भी ताजा है। क्योंकि भारतीय सैनिकों के लिए ये युद्ध आसान नहीं था। लेकिन, हमारे देश के वीर जवानों ने माइनस 25 डिग्री सेल्सियस पर भी हार नहीं मानी और दुश्मनों को धूल चटा दिया। उस वक्त मेजर शैतान सिंह और उनकी चार्ली कंपनी के 100 जवानों ने 400 से भी ज्यादा चीनी सैनिकों को हराया और अपने देश की रक्षा की। 59 साल बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत गुरुवार को रेजांग ला के इन योद्धाओं की याद और सम्मान में नए स्मारक का उद्घाटन करेंगे।
बता दें कि, उस वक्त जवानों के सम्मान में देरी हो गई थी और साल 2012 में पहला औपचारिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। लेकिन, अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जनरल बिपिन रावत नए स्मारक का उद्घाटन करेंगे और एक एक ऑडिटोरियम का भी उद्घाटन किया जाएगा, जिसमें चीन से युद्ध करने के दौरान शहीद हुए जवानों की तस्वीरें होंगी।
माना जाता है कि, 18 नवंबर, साल 1962 में चीन के 400 से ज्यादा सैनिकों ने दक्षिणी लद्दाख के रेजांग ला में हमला कर दिया था और उस वक्त वहां पर भारत के मात्र 112 जवान तैनात थे। उस वक्त चुशूल में 13 कुमाऊं रेजीमेंट तैनात थी, जिसकी एक टुकड़ी थी चार्ली कंपनी और इसको लीड कर रहे थे मेजर शैतान सिंह। माइनस 25 डिग्री की कपकपाती ठंड में इस युद्ध को भारतीयों ने अंजाम दिया। 18 नवंबर की उस तारीख को 4 बजे सुबह 1800 फीट की ऊंचाई पर सुनसान रेजांग ला पोस्ट पर चीन ने लेह और चुशूल के बीच की सड़क को बाधित करने के लिए हमला किया था। दोनों तरफ से हुए हमले की वजह से निहत्थे भारतीयों ने दुश्मन को धूल चटा दी थी।
कपकपाती ठंड में लड़े गए इस युद्ध के लगभग 1 साल बाद 1963 में भारतीय रेड क्रॉस ने कई शव बरामद किए। वहीं रेजांग ला जाने वालें लोगों ने उस इलाके में खून ही खून देखे। जिसे देखकर ये साफ मालूम होता है कि, युद्ध में हमारी सेना चीन पर किस तरह भारी पड़ी होगी।
Created On :   17 Nov 2021 5:20 PM IST