फर्जी मुठभेड़: पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में आजीवन कारावास

पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में आजीवन कारावास
  • पूर्व पुलिसकर्मी को बड़ा कानूनी झटका
  • फर्जी मुठभेड़ के मामले में दोषी
  • 18 साल पुराने मामले में आजीवन कारावास की सजा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में मुंबई के विवादास्पद ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’, पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को मंगलवार को एक बड़ा कानूनी झटका लगा । बंबई उच्च न्यायालय ने उन्हें 2006 में मुंबई में गैंगस्टर छोटा राजन के कथित करीबी सहयोगी रामनारायण गुप्ता की फर्जी मुठभेड़ के मामले में दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुना दी।

बंबई उच्च न्यायालय में जस्टिस रेवती मोहित डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। खंडपीठ ने प्रदीप शर्मा को बरी करने के सत्र अदालत के 2013 के फैसले को अनुचित और अपरिपक्व बताते हुए रद्द कर दिया। मंगलवार को कोर्ट ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को 2006 के रामनारायण गुप्ता फर्जी मुठभेड़ मामले में दोषी ठहराया।

हाईकोर्ट ने कहा निचली कोर्ट में सबूतों की अनदेखी हुई थी। इस मामले में कई सबूत उनकी संलिप्तता साबित करते है। हाईकोर्ट ने पूर्व पुलिसकर्मी को तीन सप्ताह के भीतर संबंधित सत्र के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। हत्या के लिए 13 पुलिसकर्मियों सहित 22 लोगों पर आरोप लगाया गया था।

हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों समेत 14 लोगों को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को कायम रखा। न्यायालय ने छह आरोपियों की दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा को भी रद्द किया और उन्हें बरी किया। सत्र अदालत ने 2013 में शर्मा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था और 21 आरोपियों को दोषी ठहराया था। अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इन 21 आरोपियों में से दो की हिरासत में मौत हुई। आपको बता दें आरोपियों ने अपनी दोषसिद्धी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जबकि अभियोजन पक्ष और मृतक के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने शर्मा को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर की थी।

Created On :   19 March 2024 7:02 PM IST

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