Hyderabad Kancha Forest Deforestation: 'हैदराबाद की सांस छीनने की कोशिश'! जान बचाकर भाग रहे पशु-पक्षी, प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थी, जानें क्या है पूरा मामला

  • कांचा जंगल 400 एकड़ की जमीन पर पेड़ों की कटाई
  • तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार से मांगी रिपोर्ट
  • विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कर रहे विरोध प्रदर्शन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना में 400 एकड़ के जंगल को काटने पर पूरा देश नाराजगी जता रहा है। जंगल के सभी पशु-पक्षी भी अपने घर हटने पर इंसानों की तरह रोते और चीखते नजर आ रहे हैं। इसका वीडियो काफी ज्यादा वायरल हो रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक, रात के अंधेरे में कई सारे बुलडोजर जंगल काटने में लगे हुए थे। पेड़ों से कई सारे मोरों के चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही थीं। उन पक्षियों को रोता देख सुनकर ऐसा लग रहा था कि इंसान ही रो रहे हों।

वीडियो हो रहा है वायरल

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें पेड़ों की कटाई हो रही है। उसी समय सभी पशु-पक्षियों के चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही थीं। उस वीडियो में ये भी देखा जा सकता है कि अंधेरी रात में बुलडोजर पेड़ की कटाई कर रहे हैं और जानवर इधर-उधर भाग रहे हैं।

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क्या है कांचा जंगल?

हैदराबाद के बीचोंबीच करीब 400 एकड़ की जमीन में जंगल फैला है। इस जंगल में 220 से भी ज्यादा प्रजातियों के साथ कई सारे जीव-जंतुओं और पशु-पक्षियों का डेरा है। इस जंगल को कांचा जंगल के नाम से जाना जाता है, जिसको हैदराबाद का फेंफड़ा भी कहा जाता है। इस जंगल की कटाई रात में शांति से की जा रही थी। मिली जानकारी के मुताबिक, जंगल में कटाई तब शुरू हुई थी जब विश्वविद्यालय में छुट्टियों का दौर जारी था। क्योंकि ये इलाका यूनिवर्सिटी के पास है और इसके काटने पर विद्यार्थी विरोध कर रहे थे।

छात्र कर रहे हैं विरोध

आसपास के लोगों से लेकर पर्यावरण एक्टिविस्ट और छात्रों ने कांचा जंगल में डेवलपमेंट के काम को थामने के लिए इसको राष्ट्रीय उद्यान का ऐलान करने की मांग कर रहे हैं। हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों को डिफोरेस्टेशन का पता चला तब उनहोंने इसका विरोध शुरू कर दिया। छात्रों की तरफ से विरोध प्रदर्शन भी हुआ है।

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कोर्ट की तरफ से लगाई गई रोक

गंभीर विरोध प्रदर्शन के चलते तेलंगाना हाईकोर्ट ने छात्रों और पर्यावरण एनजीओ, वात फाउंडेशन की तरफ से दर्ज की गई याचिकाओं के बाद ही डिफोरेस्टेशन पर रोक लगा दी थी। कोर्ट की तरफ से ये आदेश गुरुवार तक दिया गया था। सुनवाई के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक रजिस्ट्रार को घटनास्थल की जांच करके रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी आदेश दिए हैं कि अगली सुनवाई तक कटाई बिल्कुल ना हो। र

क्यों काटे जा रहे हैं जंगल?

जंगलों को काटकर इस 400 एकड़ की जमीन पर डेवलपमेंट का काम शुरू करना था। दावा किया जा रहा है कि विकास प्राधिकरण को जंगल काटने में परेशानी ना हो इसलिए ऐसा समय चुना गया था जब सभी बच्चे छुट्टी के दौरान अपने घर गए हुए थे।

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Created On :   3 April 2025 5:06 PM IST

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