बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार: युनूस सरकार को नहीं हजम हो रही तुलसी गबार्ड की बात! अब बयान जारी कर सफाई में कही ये बात

- बांग्लादेश में जारी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार
- तुलसी गबार्ड के बयान से बौखलाई युनूस सरकार
- मुख्य सलाहकार कार्यालय ने बयान के जरिए दी सफाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के घर और धार्मिक स्थानों पर उग्रवादियों द्वारा हमले करने का सिलसिला जारी है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यक समुदायों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। तुलसी गबार्ड के इन आरोपों से मोहम्मद युनूस सरकार तिलमिला गई है। यूनूस सरकार ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों को सिर से नकार दिया है। इसके बाद बांग्लादेश सरकार ने बयान जारी करते हुए अपनी सफाई दी है। इस बयान में "बिना किसी साक्ष्य या ठोस आरोप" की बात कही गई है।
तुलसी गबार्ड के आरोपों से बौखलाई युनूस सरकार
इससे पहले फेसबुक पर सोमवार देर रात बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के कार्यालय से पोस्ट किया गया है। इसमें गबार्ड का हवाला देते हुए लिखा गया कि उनका बयान "पूरे देश की छवि को गलत तरीके से पेश कर रहा है।" इस बयान में भारतीय टीवी चैनल पर दिए गए गबार्ड के बयान को भ्रामक बताया गया है। युनूस सरकार का कहना है कि इस तरह का बयान बांग्लादेश की प्रतिष्ठा को आहत करता है। बयान में आगे कहा गया कि बांग्लादेश की पारंपरिक इस्लाम प्रथा हमेशा समावेशी और शांतिपूर्ण रही है। देश ने उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ लगातार प्रगति की है।
भारतीय चैनल को दिए गए इंटरव्यू में तुलसी गबार्ड ने कहा, "हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का लंबे समय से उत्पीड़न, हत्या और दुर्व्यवहार हो रहा है। यह अमेरिकी सरकार और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के लिए एक बड़ी चिंता है।"
बांग्लादेश सरकार ने बयान जारी कर दी सफाई
बता दें, तुलसी गबार्ड ने युनूस सरकार पर बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले और इस्लामी आतंकवादियों का खतरा “खिलाफत शासन” की विचारधारा से जुड़े होने का आरोप लगाया था। उन्होंने बताया था कि इस मसले पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के बीच बातचीत शुरू हो गई है। लेकिन, बांग्लादेश सरकार ने इस बयान को सिर से नकार दिया था। बांग्लादेश सरकार ने कहा था कि देश को "इस्लामी खिलाफत" से जोड़ना "निराधार और अस्वीकार्य" है। सरकार का मानना है कि इस बयान से उन लाखों बांग्लादेशियों की मेहनत आहत हो सकती है। जिससे शांति, स्थिरता और विकास के लिए काम किया है।
बांग्लादेश सरकार ने साफ करते हुए कहा कि वह किसी भी प्रकार की "इस्लामी खिलाफत" से जुड़े दावों की आलोचना करता है। मुख्य सलाहकार के कार्यालय ने कहा कि राजनीतिक नेताओं और सार्वजनिक हस्तियों को अपने बयानों को तथ्यों पर आधारित रखना चाहिए बयान में यह भी कहा गया कि बांग्लादेश ने आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन, सामाजिक सुधार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से ठोस प्रयास किए हैं। यूनुस के कार्यालय ने कहा, "बांग्लादेश की अंतरिम सरकार आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग में विश्वास रखती है और सभी देशों की संप्रभुता और सुरक्षा के सम्मान के आधार पर रचनात्मक वार्ता के लिए प्रतिबद्ध है।"
Created On :   18 March 2025 5:45 PM IST