पीएम मोदी का सिंगापुर दौरा: व्‍यापारिक और रणनीतिक लिहाज से भारत के लिए बेहद अहम है सिंगापुर, दोनों मिलकर रोक सकते हैं चीन के विकास की रफ्तार

व्‍यापारिक और रणनीतिक लिहाज से भारत के लिए बेहद अहम है सिंगापुर, दोनों मिलकर रोक सकते हैं चीन के विकास की रफ्तार
  • सिंगापुर के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे पीएम मोदी
  • पीएम मोदी के सिंगापुर दौर पर नजर गड़ाए बैठा चीन
  • चीन के लिए खतरा साबित हो सकती है दोनों देशों की नजदीकी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पीएम मोदी इस समय अपने तीन दिवसीय ब्रुनेई और सिंगापुर दौरे पर हैं। अपनी यात्रा का पहला चरण ब्रुनेई में पूरा करने के बाद पीएम मोदी दूसरा चरण पूरा करने के लिए बुधवार को सिंगापुर पहुंचे। सिंगापुर पहुंचने पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। भले ही सिंगापुर आकार में छोटा देश हो लेकिन व्यापारिक और रणनीतिक लिहाज से यह भारत के लिए काफी अहम है।

खासकर चीन पीएम मोदी सिंगापुर दौरे पर नजर गड़ाए बैठा है। उसका ऐसा करना लाजिमी भी है क्योंकि यदि यह दोनों देश चाहे तो चीन के विकास की रफ्तार को धीमा कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे?

सिंगापुर को चीन से खतरा

1965 में आजाद हुए सिंगापुर को चीन के विस्तारवादी रवैया का हमेशा खतरा बना रहता है। इस खतरे से निपटने के लिए वह एशिया के मजबूत देशों में से एक भारत को अपने प्रमुख साझेदार के रूप में देखता है।दरअसल, अपनी विस्तारवादी नीतियों के लिए बदनाम चीन जमीन के साथ समुद्र में भी अपना दावा ठोकता है। इसी को लेकर सिंगापुर से भी उसका विवाद रहता है। दोनों देशों के बीच साल 2019 में समझौता हो चुका है, लेकिन अपने अपनी नापाक हरकतों से मजबूर चीन कई बार समझौते की शर्तों को तोड़ चुका है। ऐसे में चीन का सामना करने के लिए वह भारत की तरफ सहयोग की नजरों से देखता है।

सिंगापुर मलक्का खाड़ी के नजदीक स्थित है। इसी रास्ते से चीन अपना अधिकांश कारोबार करता है। यानी चीन के विकास पहिया घूमता रहे इसके लिए यह स्थान बेहद आवश्यक है। चीन के ईधन का 80 फीसदी से ज्यादा आयात इसी रास्ते से होकर गुजरता है। मतलब भारत और सिंगापुर चाहे तो चीन का विकास रुक सकता है।

जहां एक तरफ सिंगापुर भारत को अपने सबसे बड़े साझेदार के तौर पर देखता है तो वहीं भारत के लिए वह हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए वह बेहद जरुरी है। मलक्का खाड़ी भारत के अंडमान द्वीप समूह से केवल 200 किलोमीटर की दूरी पर है। मल्लका की खाड़ी के महत्व पर नजर डालें तो यह दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है। यहां से हर वर्ष 75 हजार से ज्यादा जहाज गुजरते हैं। खासकर चीन के लिए तो यह बेहद जरुरी है।

चीन की बढ़ी बैचेनी

भारत और सिंगापुर की नजदीकी चीन की बैचेनी बढ़ा रही है। इस बात को समझते हुए पीएम मोदी सिंगापुर के दौरे पर पहुंचे हैं। चीन को इस बात का हमेशा डर सताता है कि कहीं भारत के साथ मिलकर सिंगापुर मल्लका खाड़ी का स्ट्रेट मार्ग बंद न कर दे। यदि भविष्य में इस समुद्री मार्ग पर भारत का नियंत्रण हो गया तो चीन के विकास की रफ्तार ठप्प पड़ जाएगी और वो बर्बाद हो जाएगा।

इस कंडीशन को चीन भलीभांति समझता है इसलिए वो मल्लका खाड़ी का ऑपशन तलाश रहा है। लेकिन, अभी तक उसे इसमें कामयाबी नहीं मिली है।

भारत का छठवां सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है सिंगापुर

सिंगापुर भारत का छठवां सबसे बड़ा बिजनेस साझेदार है। देश के कुल व्यापार में उसका 3.2 फीसदी योगदान था। इसके साथ ही वह भारत का सबसे बड़ा आसियान व्यापार साझेदार भी है। इसके अलावा एफडीआई के मामले में भी वह भारत का सबसे बड़ा स्रोत है जो कि वित्त वर्ष 2024 में 11.77 बिलियन डॉलर था। वित्तीय वर्ष 2024 में सिंगापुर से आयात 21.1 अरब डॉलर वहीं, निर्यात कुल 14.4 अरब डॉलर हुआ था। जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी के सिंगापुर दौरे के दौरान दोनों दोनों बीच कई एमओयू पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। जिसमें खाद्य सुरक्षा, एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन और सेमीकंडक्टर शामिल हैं।

Created On :   5 Sept 2024 12:06 AM IST

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