रणनीति बेनकाब!: ब्लैक SEA में रूस का 'ट्रोजन हॉर्स'! सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ सनसनीखेज खुलासा, ये है यूक्रेन को मात देने की रणनीति?
- ब्लैक SEA में रूस का 'ट्रोजन हॉर्स'!
- सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ सनसनीखेज खुलासा
- रूस की रणनीति बेनकाब!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस ने काला सागर में मौजूद सेवास्तोपोल बंदरगाह पर लकड़ी की पनडुब्बी बनाकर रखी है। सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों से इसका खुलासा हुआ है। ये पनडुब्बी यूक्रेन की उस मिसाइल की नकल है, जिसे यूक्रेन की मिसाइल ने बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया था। फिलहाल उसकी मरम्मत हो रही है। ये एकदम ट्रोजन हॉर्स वाली कहानी जैसा मामला है।
दरअसल, इसके पीछे एक पुरानी कहानी है। ऐसा माना जाता है कि ट्रॉय के शहर में घुसपैठ के लिए ग्रीक के योद्धाओं ने ट्रोजन हॉर्स बनवाया था। असल में ग्रीक यौद्धाओं को ट्रॉय में जाने का कोई मौका नहीं मिल रहा था। तब सबने मिलकर एक घोड़ा तैयार किया। लकड़ी के इस घोड़े में बहुत सारे सैनिकों को छुपा दिया गया। इस घोड़े को ट्रॉय शहर ले जाया गया। मौका देखकर ग्रीक यौद्धाओं ने ट्रॉय पर हमला बोल दिया। जिसके बाद उसने जंग जीती थी। तब लकड़ी के घोड़े का इस्तेमाल करके छलावा किया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि ट्रोजन हॉर्स की तरह ही सबमरीन के जरिए रूस युद्ध की रणनीति तैयार कर रहा है। इस बात का खुलासा सैटेलाइट वाली तस्वीरों से हुआ। जहां हुआ ये कि रूस ने अपनी एक पनडुब्बी की नकल बनवाई और उसे काला सागर में रख दिया।
क्षतिग्रस्त पनडुब्बी की जा रही है मरम्मत
लकड़ी की पनडुब्बी की सैटेलाइट तस्वीरों की जब जांच की गई तो पता चला कि ये प्रोजेक्ट 877 के अलरोसा पनडुब्बी के बराबर भी नहीं है। वहीं, रोस्तोव की लंबाई की बात करें तो अलरोसा की लंबाई 72.6 मीटर है। जानकारी के मुताबिक, रूस ने उस पनडुब्बी को 13वें शिफ रिपेयर प्लांट में भेजी है। ये प्लांट किलेन की खाड़ी वाले इलाके में है। जहां पर इस क्षतिग्रस्त पनडुब्बी को कवर करके रिपेयर किया जा रहा है।
यूक्रेन की मिसाइल हमले से क्षतिग्रस्त हो गई सबमरीन
दरअसल, पिछले साल सितंबर में यूक्रेन ने मिसाइलों से सेवास्तोपोल पर हमला किया था। इस हमले में यह पनडुब्बी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। जिसके बाद इसके डूबने की जानकारी दी गई थी। फिर रूस की सरकार ने पनडुब्बी को बंदरगाह के नीचे यानी संमदर की गहराई से निकाला था। पनडुब्बी को सुखाने के लिए उसे पहले ड्राई डॉक पर भेजा गया। फिर इस जून में इसे किलेन की खाड़ी की तरफ भेजा गया था, ताकि इसकी सही से मरम्मत हो सके और अगले साल तक सेना में इसकी वापसी की जा सके।
Created On :   22 Aug 2024 6:46 PM IST