क्या है गंगा जल संधि?: क्या बांग्लादेश भी भारत को दिखा रहा आंखें? निशिकांत दुबे ने गंगा जल संधि को लेकर किया बड़ा दावा

क्या बांग्लादेश भी भारत को दिखा रहा आंखें? निशिकांत दुबे ने गंगा जल संधि को लेकर किया बड़ा दावा
  • पाक के बाद बांग्लादेश दिखा रहा भारत को आंखें
  • भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने किया बड़ा दावा
  • भारत-बांग्लादेश के बीच गंगा जल संधि को लेकर कही ये बात

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई पर बयानबाजी मामले में घिरे भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पहगाम आंतकी हमले पर पाकिस्तान को लताड़ा था। इस बीच अब उन्होंने पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश पर गंगा जल संधि को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट पोस्ट किया है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा, "बांग्लादेश भी बड़ा छटपट कर रहा है, उसको भी गंगा नदी का पानी बंद करने का समय आ गया है। पानी पीकर जीएगा हमसे, गाएगा पाकिस्तान से।"

निशिकांत दुबे ने गंगा जल संधि को लेकर किया दावा

इतना ही नहीं, बल्कि भाजपा सांसद ने एक्स पर एक अंग्रेजी वेबसाइट की खबर का स्क्रीनशॉट भी पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने लिखा, "गंगाजल इन पापियों को?" दरअसल, निशिकांत दुबे ने जिस रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया है, उसमें बताया गया है कि कुछ दिनों पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के एक सलाहकार ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक सदस्य से मुलाकात की थी।

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार डॉ. आसिफ नजरूल पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद ढाका में लश्कर-ए-तैयबा के सीनियर ऑपरेटिव इजहार से मीटिंग की थी। इस घटना के बारे में सूत्रों का कहना है कि भारत के खिलाफ उग्रवाद को बढ़ावा देने में ढाका की मौजूदा सरकार की भूमिका को लेकर संदेह उत्पन्न हो रहा है।

बता दें, हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ मोदी सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि अब पाकिस्तान पानी के लिए तरस जाएगा। इसके बाद निशिकांत दुबे ने सिंधु जल संधि को लेकर अपने एक और सोशल मीडिया पोस्ट में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि 1960 में नेहरू नोबेल पुरस्कार पाने की चाह में 'सांप को भी पानी पिलाने' के लिए तैयार हो गए थे। मालूम हो कि, सिंधु जल संधि पर 19 सितंबर 1960 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने दस्तखत किए थे।

बता दें, 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 26 पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी थी। इस घटना से देश गमगीन है। केंद्र सरकार ने कहा है कि इस हमले में शामिल आतंकियों और उनके समर्थकों को बहुत बख्शा नहीं जाएगा। केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लिए हैं। सरकार ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई 'सिंधु जल संधि' को स्थगित कर दिया है। इसके साथ ही अटारी बॉर्डर चेकपोस्ट को भी बंद कर दिया गया है। इसके अलावा पाकिस्तानी नागरिकों के सभी वीजा भी तुरंत रद्द कर दिए गए हैं। इस बीच भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वह एक हफ्ते के अंदर नई दिल्ली में मौजूद अपने सभी डिफेंस एडवाइजर्स को वापस बुला ले।

क्या है गंगा जल संधि

बता दें, साल 1996 में भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा जल संधि हुई थी। इसके तहत गंगा जल के बंटवारे के लिए दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए थे। इस संधि का लक्ष्य गंगा नदी के पानी को दोनों देशों के बीच बांटना था। दरअसल, यह संधि 1975 में फरक्का बैराज के निर्माण से उत्पन्न हुए विवाद को सुलझाने के लिए बनाई गई थी। इसका उद्देश्य कोलकाता बंदरगाह के लिए पानी का प्रवाह बनाए रखना था।

भारत और बांग्लादेश के बीच हुई यह संधि 30 साल के लिए थी। साल 2026 में यह संधि समाप्त हो जाएगी। ऐसे में इस संधि को दोनों देशों की सहमति से नवीनीकरण किया जा सकता है। फरक्का बैराज भारत में गंगा नदी पर स्थित है। यह पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से करीब 10 किलोमीटर दूर है।

भारत और बांग्लादेश के बीच 1996 में गंगा जल के बंटवारे के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस संधि का उद्देश्य गंगा नदी के पानी को दोनों देशों के बीच बांटना था. यह संधि 1975 में फरक्का बैराज के निर्माण के बाद हुए विवाद को सुलझाने के लिए बनाई गई थी, जिसका उद्देश्य कोलकाता बंदरगाह के लिए पानी का प्रवाह बनाए रखना था. यह संधि 30 साल के लिए थी और 2026 में समाप्त हो जाएगी। इस संधि को दोनों देशों की सहमति से नवीनीकरण किया जा सकता है। फरक्का बैराज भारत में गंगा नदी पर स्थित है, जो पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से करीब 10 किलोमीटर दूर है।

दरअसल, कलकत्ता बंदरगाह में जहाजों के परिवहन के लिए पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए 1975 में फरक्का बैराज का निर्माण किया गया था। इसके बंदरगाह के जरिए गंगा नदी का पानी हुगली नदी की ओर मोड़ा गया था। गंगा जल बंटवारा संधि के तहत भारत और बांग्लादेश के बीच पानी का बंटवारा तय किया गया है। यदि पानी की उपलब्धता 70,000 क्यूसेक से कम है, तो दोनों देशों को 50-50 प्रतिशत पानी मिलेगा। यदि पानी की उपलब्धता 70,000 से 75,000 क्यूसेक के बीच है तो बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक पानी मिलेगा और बाकी का पानी भारत को मिलेगा।

Created On :   26 April 2025 4:32 PM IST

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