Inner Mongolia: अमेरिकी पत्रकार को हिरासत में लेने से बढ़ा तनाव, जानिए इनर मंगोलिया में चीन के जुल्म की पूरी कहानी

US paper says reporter was held in China’s Inner Mongolia
Inner Mongolia: अमेरिकी पत्रकार को हिरासत में लेने से बढ़ा तनाव, जानिए इनर मंगोलिया में चीन के जुल्म की पूरी कहानी
Inner Mongolia: अमेरिकी पत्रकार को हिरासत में लेने से बढ़ा तनाव, जानिए इनर मंगोलिया में चीन के जुल्म की पूरी कहानी
हाईलाइट
  • अमेरिकी पत्रकार को हिरासत में लेने से अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ा
  • नई एजुकेशन पॉलिसी को लेकर इनर मंगोलिया में लोग चीन खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं
  • पत्रकार चीन के इनर मंगोलिया क्षेत्र में चल रहे तनाव को कवर कर रहीं थी

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। एक अमेरिकी पत्रकार को हिरासत में लेने से अमेरिका और चीन के बीच तनाव और ज्यादा बढ़ गया है। लॉस एंजिल्स टाइम्स ने गुरुवार को पब्लिश की एक ऑनलाइन स्टोरी में बताया कि रिपोर्टर से एक पुलिस स्टेशन में पूछताछ की गई। उसे गले से पकड़ा और एक सेल में धकेल दिया गया। करीब चार घंटे तक उसे सेल में बंद रखा गया और फिर उत्तरी चीनी क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। बता दें कि अमेरिकी पत्रकार चीन के इनर मंगोलिया क्षेत्र में नई एजुकेशन पॉलिसी को लेकर चल रहे तनाव को कवर कर रहीं थी। नई पॉलिसी में एजुकेशन में मंगोलियाई भाषा के उपयोग को कम किया गया है।

लॉस एंजिल्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रिपोर्टर को इस क्षेत्र की राजधानी होहोट के एक स्कूल में कुछ पुरुषों ने घेर लिया था जो सादी ड्रेस में थे। इसके बाद उन्हें पुलिस की कार में पुलिस स्टेशन ले जाया गया। उन्हें अमेरिकी दूतावास को कॉल करने की भी अनुमति नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस स्टेशन में एक अधिकारी ने दोनों हाथों से रिपोर्टर का गला पकड़ा और उसे एक सेल में धकेल दिया। लॉस एंजेलिस टाइम्स ने कहा कि रिपोर्टर को जेल से रिहा करने के बाद तीन सरकारी अधिकारी और एक पुलिस अधिकारी उनके साथ ट्रेन स्टेशन गए और खिड़की पर खड़े रहे जब तक ट्रेन बीजिंग के लिए रवाना नहीं हुई। 

बता दें कि चीन में पांच स्वायत्त प्रांत हैं। इनमें से ही एक इनर मंगोलिया है। एक जमाने में इनर और आउटर मंगोलिया ग्रेटर मंगोलिया का हिस्सा हुआ करते थे। चंगेज़ ख़ान ने यहीं पर मंगोल साम्राज्य की नींव डाली थी। उसके पोते कुबलई ख़ान ने युआन वंश की नींव रखी और अपना साम्राज्य चीन तक फैला लिया। 1368 में युआन वंश ढहने लगा। इसके बाद चीन में पहले मिंग और फिर चिंग साम्राज्य आया। इसी चिंग साम्राज्य ने मंगोलिया को चीन में मिलाया। चिंग शासकों ने ही प्राशासनिक सुविधा के मद्देनज़र मंगोलिया को आउटर और इनर यूनिट में बांट दिया।

Map of Inner Mongolia, China

1924 में रूस की सीमा से सटा आउटर मंगोलिया आजाद देश बना। जबकि चीनी भूभाग से सटे इनर मंगोलिया पर अभी भी चीन का कब्जा है। इनर मंगोलिया के मूल निवासी मंगोलियन्स हैं। मगर चीन ने 1911 से ही यहां की बसाहट बदलने की कोशिश शुरू कर दी थी। चीन के बहुसंख्यक हान यहां लाकर बसाए जाने लगे। 1949 की कम्यूनिस्ट क्रांति आते-आते इनर मंगोलिया में मंगोल अल्पसंख्यक हो गए। बाद के दशकों में भी चीन यहां के लोगों पर अपनी संस्कृति थोपता रहा। 70 के दशक में मंगोलियन संस्कृति खत्म करने के लिए माओ ने कल्चरल रेवॉल्यूशन चलाया जिसमें तकरीबन साढ़े चार करोड़ लोग मारे गए।

China's Cultural Revolution, Explained - The New York Times

चीन की सरकार अब मंगोलों की बची-खुची पहचान को कुचलने के लिए इनर मंगोलिया के स्कूलों में मंगोलियन भाषा को फेज़ आउट कर रही है। अब प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के टीचर बच्चों को मंगोलियन भाषा में नहीं पढ़ाएंगे। वो इसकी जगह मंडारिन भाषा का इस्तेमाल करेंगे। दरअसल, चीन चाहता है कि इन स्कूली बच्चों समेत आने वाली मंगोलियन पीढ़ियां रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अपनी मूल भाषा को बरतना भूल जाए। चीन के सभी अल्पसंख्यक मूल निवासियों के साथ यही सलूक हो रहा है। उनके तौर-तरीके खर-पतवार की तरह बेकार और उखाड़ फेंकने लायक समझे जाते हैं।

 Inner Mongolian | Mongolian, Schools around the world, Vintage school

चीन की इस पॉलिसी के खिलाफ हज़ारों-हज़ार मंगोल विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। लोगों का कहना है कि संस्कृति के नाम पर उनके पास केवल अपनी भाषा ही बची है. ये ख़त्म हो गई, तो मंगोलियन पहचान का कोई निशान नहीं बचेगा। प्रदर्शन जितने बढ़ रहे हैं, सरकार उतनी ही उग्र हो रही है। स्थानीय बुकस्टोर्स से मंगोलियन भाषा की किताबें हटा दी गई हैं। सोशल मीडिया पर मंगोलियन भाषा के अकाउंट्स भी बंद करवाए जा रहे हैं। बाइनू नाम का एक सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद करवा दिया गया है। चीन में ये मंगोलियन भाषा की इकलौती सोशल मीडिया साइट थी।

Inner Mongolia doubles down on China's plan to teach key subjects in  Mandarin despite protests | South China Morning Post

Created On :   4 Sept 2020 11:08 AM IST

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