पोलैंड-बेलारूस सीमा पर मानवाधिकार की स्थिति खतरनाक

The human rights situation on the Poland-Belarus border is alarming
पोलैंड-बेलारूस सीमा पर मानवाधिकार की स्थिति खतरनाक
वरिष्ठ अधिकारी पोलैंड-बेलारूस सीमा पर मानवाधिकार की स्थिति खतरनाक
हाईलाइट
  • मानवाधिकार आयुक्त ने मानव अधिकारों के हनन पर चिंता जाहिर की

डिजिटल डेस्क, ब्रुसेल्स। बेलारूस से लगी पोलैंड की सीमा पर मानवीय और मानवाधिकारों की स्थिति खतरनाक हो गई है और वहां फंसे लोगों के जीवन की रक्षा के लिए तत्काल उपाय उठाने की जरूरत है। इसकी जानकारी काउंसिल ऑफ यूरोप (सीओई) के मानवाधिकार आयुक्त डुंजा मिजाटोविक ने दी। पोलैंड की अपनी चार दिवसीय यात्रा के अंत में जारी एक बयान में, मिजाटोविक ने पोलिश सरकार से मानव पीड़ा और मानवाधिकारों के उल्लंघन को समाप्त करने के लिए मीडिया और मानवीय सहायता संगठनों को सीमा तक पहुंचने की अनुमति देने का आह्वान किया।

अगस्त के बाद से, हजारों प्रवासी, जिनमें से अधिकांश मध्य पूर्व में युद्धग्रस्त देशों से है वो यूरोपीय संघ (ईयू) के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए बेलारूस और उसके पड़ोसियों के बीच की सीमा पर फंसे हुए थे। पिछले हफ्ते पोलिश सैनिकों के बीच वाटर कैनन का इस्तेमाल करने और पत्थर फेंकने वाले प्रवासियों के बीच झड़पें हुई। आयुक्त ने कहा कि पोलैंड की आपात स्थिति से सटे सीमा क्षेत्रों तक पहुंच पर प्रतिबंध के हानिकारक परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि इसने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नागरिक समाज को महत्वपूर्ण मानवीय सहायता प्रदान करने और महत्वपूर्ण निगरानी और मानवाधिकारों को पूरा करने से रोका।

उन्होंने कहा कि मीडिया तक पहुंच से इनकार करना अभिव्यक्ति और सूचना की स्वतंत्रता को कमजोर करता है और बहुत आवश्यक पारदर्शिता और जवाबदेही को सीमित करता है, दुष्प्रचार को बढ़ावा देता है और असुरक्षा की भावना को मजबूत करता है। आयुक्त ने कहा, पत्रकारों को सीमा पर सभी क्षेत्रों से स्वतंत्र और सुरक्षित रूप से रिपोर्ट करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, पोलैंड का वर्तमान कानून आधिकारिक सीमा पार से बाहर के क्षेत्र में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों की सीमा पर तत्काल वापसी की अनुमति देता है, साथ ही शरण लेने के अधिकार को कम करता है।

मिजाटोविक ने कहा, मैंने व्यक्तिगत रूप से हताश लोगों से अत्यधिक पीड़ा के भयावह बातों को सुना है जिनमें से कई परिवार, बच्चे और बुजुर्ग हैं जिन्होंने इस धक्का-मुक्की के कारण ठंडे और गीले जंगल में कठोर और चरम स्थितियों में सप्ताह या महीने बिताए हैं। उन्होंने कहा, मैंने उनकी दर्दनाक जिंदगी जिसमें घाव, ठंड, थकावट और तनाव देख सकता हूं। उन्होंने कहा, एक महिला स्थानीय अस्पताल में अपने जीवन के लिए लड़ रही थी। कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि इनमें से किसी भी व्यक्ति को सीमा पर लौटने से ज्यादा मानवीय पीड़ा होगी और ज्यादा मौतें होंगी। हर रात और हर घंटे में बिताया गया वहां पल उनके जीवन के लिए वास्तविक खतरा है। आयुक्त ने जोर देकर कहा कि मौजूदा स्थिति से निपटना केवल पोलैंड पर ही नहीं होना चाहिए। यह एक यूरोपीय मुद्दा है, जिसके लिए एकजुटता और यूरोपीय मूल्यों और मानकों के आधार पर मानवाधिकार केंद्रित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।

(आईएएनएस)

Created On :   21 Nov 2021 3:30 PM IST

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