घाना: राष्ट्रपति महामा ने टॉप कोर्ट के सीजे को किया निलंबित

- आश्चर्यजनक कदम से विपक्ष नाराज
- महामा ने जनवरी में राष्ट्रपति के रूप में ली शपथ
- सरकार ने कानून की अनदेखी की, विपक्ष चुप नहीं बैठेगा- बोआके
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा ने सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश गर्ट्रूड टोरकोर्नू को सस्पेंड कर दिया है। राष्ट्रपति के इस चौंकाने वाले फैसले का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है। विपक्ष ने राष्ट्रपति के कदम को गैर-कानून करार दिया है। विपक्ष ने और वह चुप नहीं बैठेगा।
जॉन महामा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत संचार मंत्री के रूप में की। पिछले साल के अंत में उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव जीता और जनवरी में तीसरे कार्यकाल के लिए घाना के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। वे इससे पहले जुलाई 2012 से जनवरी 2017 तक राष्ट्रपति के पद पर थे। उन्होंने चुनाव में जीत के बाद देश में आर्थिक संकट- जो कि एक पीढ़ी में सबसे खराब है- के साथ-साथ भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से निपटने का संकल्प लिया था।
घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गर्ट्रूड टोरकोर्नू को निलंबित कर दिया है। सरकार की ओर से मंगलवार (स्थानीय समयानुसार) को जारी एक प्रेस बयान में मुख्य न्यायाधीश के निलंबन की जानकारी दी गई, लेकिन इसके पीछे कोई विवरण या स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। राष्ट्रपति के इस चौंकाने वाले कदम का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है। राष्ट्रपति ने मुख्य न्यायाधीश के निलंबन की घोषणा ऐसे समय में की है, जब उनके खिलाफ जांच शुरू की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रपति महामा ने निलंबन की घोषणा तीन याचिकाओं के आधार पर मुख्य न्यायाधीश टोरकोर्नू के खिलाफ प्रारंभिक जांच के बाद की है। हालांकि, इन याचिकाओं को सार्वजनिक नहीं किया गया है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब घाना में 1992 के संविधान के बाद किसी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निलंबित किया गया है।
न्यू पैट्रियटिक पार्टी के महासचिव जस्टिन फिम्पोंग-कोडुआ ने इसे न्यायिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है। उन्होंने राष्ट्रपति महामा पर संविधान का घोर उल्लंघन करने का आरोप लगाया। जस्टिन ने मुख्य न्यायाधीश टोरकोर्नू को तत्काल बहाल करने की मांग की। जस्टिन ने कहा, 'यह वह लोकतंत्र नहीं है, जिसकी घाना कामना करता है। एक ऐसे देश के रूप में जो कई चुनावों से गुजर चुका है, उसे प्रगति करनी चाहिए, न कि पीछे हटना चाहिए। राष्ट्रपति की कार्रवाई न केवल बेतुकी है, बल्कि घृणित और असांविधानिक भी है।
घाना के थिंक टैंक सेंटर फॉर डेमोक्रेटिक डेवलपमेंट घाना के निदेशक एच क्वासी प्रेमपेह ने न्यायाधीश की बर्खास्तगी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश टोरकोर्नू को हटाने के पक्ष में हैं, तो यह कानून का उल्लंघन होगा, क्योंकि वह उनकी बोस हैं और इसमें उनका स्वार्थ हो सकता है। प्रेमपेह ने पारदर्शिता और संस्थागत सुधार की जरूरत पर जोर दिया।
विपक्षी न्यू पैट्रियटिक पार्टी ने मुख्य न्यायाधीश टोरकोर्नू के निलंबन की निंदा की है। पार्टी ने इस फैसले का विरोध करने की धमकी दी है। पार्टी नेता हेनरी नाना बोआके ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि टोरकोर्नू का निलंबन गैर-कानूनी है। सरकरा ने कानून की अनदेखी की है और विपक्ष चुप नहीं बैठेगा। बोआके ने कहा, 'राष्ट्रपति को राजनीति से प्रेरित गतिविधि को आगे बढञाने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करके कानून के नियमों और सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।
Created On :   24 April 2025 10:00 AM IST