तालिबान के सर्वोच्च नेता अखुंदजादा ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत की

Taliban supreme leader Akhundzada tightens his grip on power
तालिबान के सर्वोच्च नेता अखुंदजादा ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत की
अफगानिस्तान तालिबान के सर्वोच्च नेता अखुंदजादा ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत की
हाईलाइट
  • सभी मामलों में अंतिम निर्णय के रूप में खुद को मजबूत किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हैबतुल्ला अखुंदजादा ने निर्णय लेने की प्रक्रिया में अपना दबदबा बना लिया है, क्योंकि कट्टरपंथी इस्लामवादी समूह कई कठोर नीतियों को बहाल करना जारी रखे हुए है, जिसके लिए वह 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन करने के लिए बदनाम था।

आरएफई/आरएल के मुताबिक, तालिबान के रैंकों के भीतर कुछ लगातार प्रतिक्रिया हुई है। अखुंदजादा ने तालिबान सरकार को माइक्रोमैनेज करके और मौलिक अधिकारों से वंचित करने वाली नीतियों को लागू करके लगभग सभी मामलों में अंतिम निर्णय के रूप में खुद को मजबूत किया है।

तालिबान के कुछ सदस्य उस तक पहुंच सकते हैं और उससे भी कम अफगानों ने उसे देखा है। वह मुस्लिम दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक विद्वानों सहित विदेशियों से मिलने से इनकार करता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि एक शुद्ध इस्लामी प्रणाली चाहता है और वैसा बनाने के अपने प्रयास में अखुंदजादा ने अफगानों और बाहरी दुनिया को अलग-थलग कर दिया है और तालिबान व जिस देश पर वह शासन करता है, उसे विनाशकारी रास्ते पर ले जा रहा है।

आरएफई/आरएल का कहना है कि पूर्व यूरोपीय संघ और अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सलाहकार माइकल सेम्पल का कहना है कि अखुंदजादा के हठीले नजरिए का प्रतिरोध एक और विनाशकारी गृहयुद्ध छेड़ सकता है या अफगानिस्तान की सीमाओं पर फैल सकता है।

लेकिन अखुंदजादा के नेतृत्व में तालिबान के 16 महीने से अधिक के शासन ने अफगानों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की शांति और स्थिरता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। सेम्पल का कहना है कि अखुंदजादा के वफादार अनुयायी परिणामों की परवाह किए बिना हर कीमत पर इस्लामी शासन की अपनी चरम दृष्टि स्थापित करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, तालिबान एक सशस्त्र इस्लामी क्रांतिकारी आंदोलन है, जो लंबे समय से हथियारों के बल पर एक इस्लामिक राज्य और समाज के अपने संस्करण को स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। अनुभवी अफगान पत्रकार और टिप्पणीकार सामी यूसुफजई का कहना है कि अगस्त 2021 में तालिबान के अधिग्रहण के बाद अखुंदजादा ने दक्षिणी अफगान शहर कंधार में रहने का विकल्प चुनकर काबुल में समूह की कार्यवाहक सरकार से दूरी बनाए रखी।

यूसुफजई का कहना है कि हाल के महीनों में अखुंदजादा ने प्रमुख सरकारी पदों पर वफादारों को नियुक्त करके सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है और यहां तक कि कंधार में अपना प्रशासनिक सचिवालय भी स्थापित कर लिया है। यूसुफजई ने कहा, उस मंत्रालय में हर कोई जानता है कि वह बिग बॉस को रिपोर्ट करता है।

यूसुफजई का कहना है कि अखुंदजादा ने खुद को समान विचारधारा वाले सलाहकारों से घेर लिया है जो धार्मिक और लौकिक मामलों पर उनकी सोच को प्रतिध्वनित करते हैं। उसने हाल के महीनों में अधिकांश प्रांतों में तालिबान प्रशासन की निगरानी के लिए प्रांतीय लिपिक परिषदों का भी गठन किया है।

 

आईएएनएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   23 Jan 2023 12:30 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story