तेल पर पश्चिमी देशों में फिर छिड़ी रार, रूस और यूरोप हुए आमने सामने, कई देशों को तेल बेचने से रूस ने किया इंकार, जानिए भारत को क्या दिया जवाब?
- सभी देशों को रूस की दो टूक
डिजिटल डेस्क, मास्को। रूस व यूक्रेन के बीच नौ महीने से युद्ध जारी है। अभी तक ये बता पाना मुश्किल है कि दोनों देश के बीच जंग खत्म कब होगी? सबसे अहम बात ये है कि यूक्रेन व रूस में से कोई भी देश झुकने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि, इस युद्ध को खत्म करने के लिए भारत जैसे तमाम देशों ने मध्यस्थता करने प्रयास किया लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। अब इसी बीच रूस तेल प्राइस कैप लागू करने के मामले में रूसी विदेश मंत्रालय ने बड़ा बयान दिया है। जिसके बाद दुनियाभर में हलचल तेज हो गई है। रूस ने विश्वभर के देशों को स्पष्ट संदेश दिया है कि जो भी देश इस प्राइस कैप का समर्थन करेंगे, उसे तेल नहीं बेचा जाएगा। रूस विदेश मंत्रालय के इस बयान ने फिर से दुनियाभर में सनसनी पैदा कर दी है।
सभी देशों को रूस की दो टूक
रूसी विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि पश्चिमी देशों का प्राइस कैप लगाने का यह प्रस्ताव एंटी मार्केट नियमों के खिलाफ है। आने वाले समय में इसका भारी असर देखने को मिल सकता है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति को और गंभीर कर सकता है। रूस ने आगे इस बात पर जोर देकर कहा कि जो भी देश प्राइस कैप लगाने का समर्थन करेंगे, उसे तेल नहीं सप्लाई किया जाएगा। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि रूसी तेल की कीमतों पर प्राइस कैप लगाने का प्रस्ताव एकदम बाजार के खिलाफ है बल्कि इसके कई नुकसान भी हैं।
रूसी प्रवक्ता ने कहा कि प्राइस कैप प्रस्ताव पूरी तरह से रूस के खिलाफ है। इससे पहले रूसी डिप्टी सीएम अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा था कि रूस सभी देशों को तेल नहीं बेचने के लिए परहेज करेगा, जो देश प्राइस कैप के समर्थन में हैं। उन्होंने आगे कहा था कि चाहे वह रूस के लिए कितना भी फायदे का सौदा क्यों न हो? डिप्टी सीएम ने कहा था कि हम बाजार के हिसाब से काम करेंगे।
जल्द लगा सकते हैं पश्चिमी देश प्राइस कैप
रूस के खिलाफ पश्चिमी देश एकजुट हैं, हर तरफ रूस को घेरने की प्लानिंग की जा रही है। रूस व यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध जारी है, यही वजह है कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई देशों के प्रतिबंधों को भी रूस को झेलना पड़ रहा है। अब जी-7 और यूरोपीय यूनियन ने रूस खिलाफ प्राइस कैप लगाने का फैसला किया है। इस प्राइस कैप के जरिए रूसी तैल की कीमतें तय कर दी जाएंगी। जिस पर रूस तेल बेच पाएगा।
हालांकि, इस पूरे मामले को देखकर तो ऐसा लग रहा की ग्रुप के सभी देश एकजुट होकर रूस की आय स्त्रोत को कम करना चाहते हैं, साथ ही रूस जिस फंड का उपयोग यूक्रेन युद्ध में कर रहा है, उसको रोका जा सके। यूरोपीय यूनियन और जी-7 के इसी फैसले पर रूस की ओर से कड़ा विरोध जता रहा है। वहीं जी-7 समूह में फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, जापान, जर्मनी और अमेरिका जैसे ताकतवर देश शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्राइस कैप रूसी तेल के लिए 65 से 60 डॉलर प्रति बैरल की जा सकती है। इस बात की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है।
भारत का क्या रहेगा स्टैंड?
यूक्रेन से रूस की जंग 24 फरवरी से ही जारी है। जिसके बाद से पश्चिमी देश एक के बाद एक प्रतिबंध रूस पर लगाए जा रहे हैं। रूस पर पश्चिमी देशों ने आर्थिक प्रतिबंध भी लगा दिया था लेकिन भारत एक ऐसा देश था, जिसने रूस से तेल खरीददारी जारी रखी और इजाफा भी किया था। धीरे-धीरे रूस की तेल आपूर्ति बढ़ती चली गई।
मौजूदा वक्त में रूस तेल के सप्लाई के मामले में भारत टॉप 3 देशों में आता है। दरअसल, यूक्रेन व रूस के बीच युद्ध में अमेरिका रूस को घेरने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इसी कड़ी में भारत के न्यूट्रल स्टैंड पर अमेरिका ने आपत्ति भी जताई थी लेकिन भारत ने साफ कर दिया था कि हम अपने नागरिकों के हितों को देखते हुए कोई भी डील करते हैं। जहां भारतीयों को फायदा पहुंचता है, वहीं से भारत डील आगे बढ़ाता है। ऐसे में साफ है कि भारत किसी भी तरह के दबाव में पीछे हटने के मूड में नहीं है।
Created On :   1 Dec 2022 4:27 PM IST