ईरान का यूरेनियम संवर्धन 4.5 फीसदी के पार, तोड़ी 2015 परमाणु समझौते की शर्त
- 2015 में हुए परमाणु करार में यूरेनियम संवर्धन की तय सीमा थी 3.7 फीसदी
- ईरान दूसरे पक्षों पर दबाव बनाने की कर रहा है कोशिश
- नई यूरेनियम संवर्धन सीमा होगी 4.5 फीसदी पार
डिजिटल डेस्क, तेहरान। ईरान ने 2015 परमाणु समझौते की सबसे बड़ी शर्त तोड़ दी है। ईरान का यूरेनियम संवर्धन स्तर सोमवार को 3.7 फीसदी से 4.5 के पार पहुंच गया। 2015 में हुए परमाणु करार में तय सीमा से यह ज्यादा है। ईरानी परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रवक्ता बहरोज कमालवंदी ने यह जानकारी दी।
बहरोज कमालवंदी ने कहा कि, आज सुबह ईरान ने यूरेनियम संवर्धन के 4.5 फीसदी के स्तर को पार कर लिया। इस स्तर की शुद्धता देश के ऊर्जा संयंत्रों की ईंधन जरूरतों को पूरी तरह संतुष्ट करती है। साथ ही कमालवंदी ने संकेत दिया है कि, फिलहाल ईरान संवर्धन के इस स्तर पर टिका रह सकता है।
गौरतलब है कि रविवार को ईरान ने कहा था कि अब वह 2015 में हुए करार में तय की गई 3.7 फीसदी की संवर्धन सीमा का पालन नहीं करेगा। इसे ईरान का फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, चीन और रूस पर दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। साल 2015 में ईरान ने अमेरिका सहित ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी के साथ परमाणु समझौता किया था। दरअसल ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर पश्चिमी देश हमेशा सवाल खड़े करते रहे हैं, जबकि ईरान अपने इस कार्यक्रम को हमेशा शांतिपूर्ण बताता रहा है। और ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही ओबामा के समय हुआ यह समझौता खत्म करने की कोशिश में ट्रंप लगे रहे।
इसके बाद मई 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ईरान और छह अन्य विश्व शक्तियों के बीच हुए करार से अलग हो गए थे। जिसके बाद ट्रंप ने इस्लामिक गणराज्य के महत्वपूर्ण तेल और वित्तीय उद्योगों समेत कई क्षेत्रों पर फिर से प्रतिबंध लगा दिये गए थे। ईरान की मांग थी कि परमाणु कार्यक्रम को सीमित रखने के बदले दूसरे पक्ष वादे के मुताबिक ईरान के आर्थिक लाभ के लिये कदम उठाएं। अमेरिकी प्रतिबंधों में जकड़ा ईरान यूरोपीय पक्ष की तरफ से आर्थिक रूप से मदद के लिये कार्रवाई न किये जाने से व्यथित है। ईरान के मुताबिक एक साल का “रणनीतिक धैर्य” अब समाप्त हो रहा है। साथ ही समझौता टूटने के एक साल के अंदर ही ईरान में संवर्धित यूरेनियम का कुल भंडार 300 किलोग्राम से अधिक हो गया है।
खबरों के मुताबिक रूस ने ईरान द्वारा 2015 के परमाणु करार सीमा से ज्यादा स्तर पर यूरेनियम संवर्धन पर चिंता व्यक्त की है। रूस के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव कहा कि, स्थिति स्वाभाविक रूप से चिंताजनक है। साथ ही सोमवार को पेस्कोव ने कहा कि करार को बचाने के लिये रूस कूटनीतिक दबाव डालेगा। पेस्कोन ने कहा कि ईरान की यह घोषणा अमेरिका द्वारा इस करार से हटने के परिणामों में से एक है। उन्होंने कहा, रूस का लक्ष्य कूटनीतिक मोर्चे पर बातचीत और प्रयास जारी रखना है। हम अब भी जेसीपीओए ( ईरान परमाणु करार) के समर्थक हैं। पेस्कोव ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन ने करार में शामिल देशों में से एक देश के इस करार से अलग हटने के परिणामों को लेकर आगाह भी किया था।
Created On :   8 July 2019 7:46 PM IST