पंजशीर घाटी में तालिबान के खिलाफ तेज हो रहा प्रतिरोध

Intensifying resistance against Taliban in Panjshir Valley
पंजशीर घाटी में तालिबान के खिलाफ तेज हो रहा प्रतिरोध
Afghanistan पंजशीर घाटी में तालिबान के खिलाफ तेज हो रहा प्रतिरोध
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डिजिटल डेस्क, काबुल। पंजशीर घाटी तालिबान के लिए आखिरी ऐसा क्षेत्र बचा हुआ है, जहां उसकी पकड़ मजबूत नहीं हो पाई है। यहां तालिबान विरोधी ताकतें इस्लामिक कट्टरपंथी समूह से निपटने के लिए गुरिल्ला आंदोलन पर काम कर रही हैं।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और प्रसिद्ध तालिबान विरोधी लड़ाके के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में पंजशीर घाटी में तालिबान का प्रतिरोध हो रहा है।

लावरोव ने अपने लीबियाई समकक्ष के साथ बैठक के बाद मॉस्को में एक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, तालिबान का अफगानिस्तान के पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण नहीं है।टीआरटी वर्ल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, पंजशीर घाटी में ऐसी स्थिति की खबरें हैं,जहां अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति सालेह और अहमद मसूद का प्रतिरोध केंद्रित है। काबुल के उत्तर-पूर्व में पंजशीर घाटी अफगानिस्तान की आखिरी बची हुई पकड़ है, जो अपनी प्राकृतिक सुरक्षा के लिए जानी जाती है।

डीडब्ल्यू ने बताया कि काबुल से 150 किमी उत्तर पूर्व में स्थित यह क्षेत्र अब अपदस्थ अफगानिस्तान सरकार के कुछ वरिष्ठ सदस्यों की मेजबानी करता है, जिनमें अपदस्थ सालेह और पूर्व रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह मोहम्मदी शामिल हैं। अपदस्थ राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भाग जाने के बाद सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है।

सालेह ने ट्विटर पर लिखा, मैं कभी भी और किसी भी परिस्थिति में तालिबान आतंकवादियों के सामने नहीं झुकूंगा। मैं अपने नायक, कमांडर, लीजेंड और गाइड अहमद शाह मसूद की आत्मा और विरासत के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा।

फ्रांस 24 ने बताया कि गनी के देश से भाग जाने के बाद जारी एक तस्वीर में, अहमद मसूद अपने पिता और महान अफगान प्रतिरोध नायक, अहमद शाह मसूद के चित्र के नीचे बैठा है। उसके बगल में पंजशीर घाटी में एक अज्ञात स्थान पर सालेह भी है। प्रतिरोध की दिशा में अब दो लोग तालिबान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई का आह्वान कर रहे हैं।

पंजशीर घाटी ने अफगानिस्तान के सैन्य इतिहास में बार-बार निर्णायक भूमिका निभाई है, क्योंकि इसकी भौगोलिक स्थिति इसे देश के बाकी हिस्सों से लगभग पूरी तरह से काट देती है। इस क्षेत्र का एकमात्र पहुंच बिंदु पंजशीर नदी द्वारा बनाए गए एक संकीर्ण मार्ग के माध्यम से है, जिसे आसानी से सैन्य रूप से बचाया जा सकता है।

अपनी प्राकृतिक सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध, हिंदू कुश पहाड़ों में बसा यह क्षेत्र 1990 के गृह युद्ध के दौरान तालिबान के हाथों में कभी नहीं आया और न ही इसे उससे एक दशक पहले सोवियत संघ (रूस) जीत पाया। डीडब्ल्यू ने बताया कि यह अब अफगानिस्तान का आखिरी बचा हुआ होल्डआउट है। यानी तालिबान अभी तक इस क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित नहीं कर सका है।

घाटी के अधिकांश 150,000 निवासी ताजिक जातीय समूह के हैं, जबकि अधिकांश तालिबान पश्तून हैं। घाटी अपने पन्ने के लिए भी जानी जाती है, जिनका उपयोग अतीत में सत्ता में बैठे लोगों के खिलाफ प्रतिरोध आंदोलनों को वित्तपोषित करने के लिए किया जाता था। अब, अहमद शाह मसूद के बेटे, अहमद मसूद का कहना है कि वह अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने की उम्मीद कर रहे हैं। मसूद, जो दिखने में अपने पिता से काफी मिलता-जुलता है, घाटी में एक मिलिशिया की कमान संभालता है।

सोशल मीडिया पर तस्वीरों में मसूद के साथ सालेह की मुलाकात दिखाई दे रही है और दोनों तालिबान से लड़ने के लिए गुरिल्ला आंदोलन की शुरुआती टुकड़ियों को इकट्ठा करते हुए दिखाई दे रहे हैं।मसूद ने अमेरिका से अपने मिलिशिया को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करने का भी आह्रान किया है।

द वाशिंगटन पोस्ट में एक ऑप-एड में, अहमद मसूद ने अपने लड़ाकों का समर्थन करते हुए कहा है कि अमेरिका अभी भी लोकतंत्र का एक बड़ा शस्त्रागार हो सकता है। उसने कहा, मैं आज पंजशीर घाटी से अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने के लिए तैयार मुजाहिदीन लड़ाकों के साथ लिख रहा हूं, जो एक बार फिर तालिबान से मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।

रूस ने गुरुवार को इस बात पर भी जोर दिया कि सालेह और मसूद के नेतृत्व में पंजशीर घाटी में एक प्रतिरोध आंदोलन बन रहा है। लावरोव ने कहा, तालिबान का अफगानिस्तान के पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण नहीं है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि तालिबान विरोधी यह नया प्रतिरोध आंदोलन कितना मजबूत है और काबुल के नए शासक इस पर कैसी प्रतिक्रिया देंगे।

आईएएनएस

Created On :   20 Aug 2021 11:00 PM IST

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