श्रीलंका के मौजूदा संकट के लिए राजपक्षे परिवार का भ्रष्टाचार और परिवारवाद जिम्मेदार
- राजनीति में परिवारवाद
डिजिटल डेस्क, कोलंबो। क्या श्रीलंका में मौजूदा हालात के लिए राजनीति में परिवारवाद जिमेमेदार है? श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमेसिघे की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) और यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की मध्यस्थता वाली सरकार 2019 की शुरूआत में आमने-सामने थी, जब विक्रमसिंघे को अक्टूबर 2019 में राष्ट्रपति ने बर्खास्त कर दिया, तो यह निश्चित था कि उस साल के राष्ट्रपति चुनाव के अंत में यूएनपी सरकार हार जाएगी।
सभी जानते थे कि विक्रमसिंघे की यूएनपी पार्टी वापसी नहीं करने वाली थी और निश्चित रूप से राजपक्षे की सरकार बनने वाली थी। लेकिन संविधान के तहत, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे 2005 से दो बार राष्ट्रपति थे। वह चुनाव नहीं लड़ सकते थे और इसलिए सबसे अच्छा तुरुप का पत्ता गोटाबाया थे क्योंकि वह कभी राजनीति में सक्रिय नहीं थे, लेकिन तमिल विद्रोहियों के खिलाफ युद्ध के दौरान रक्षा सचिव के शक्तिशाली पद पर थे।
21 अप्रैल 2019 ईस्टर संडे के दिन लगभग एक ही समय में तीन चचरें और तीन होटलों में बमबारी हुई, ये एक ऐसा अनुभव था, जो श्रीलंका ने तीन दशकों के युद्ध के बावजूद भी कभी महसूस नहीं किया। हिंद महासागर का छोटा द्वीप खतरे में था और उसे एक रक्षक की सख्त जरूरत थी। देश में बमबारी में खून और मलबे के बीच, एक सप्ताह के अंदर गोटाबाया राजपक्षे ने उस साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की और चुनावी लड़ाई के लिए नारा दिया कि देश को चरमपंथियों से बचाना है।
श्रीलंका में पहली बार किसी पार्टी को जबर्दस्त जीत मिली। गोटाबाया की 6.9 मिलियन के भारी बहुमत से जीत हुई, जिसमें लगभग सभी सिंहली बौद्ध ने अपना वोट दिया। उनके भाई महिंदा को प्रधानमंत्री बनाया गया। अगस्त 2020 में हुए संसदीय चुनाव में महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व वाली श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) को 225 में से 150 सीटों के साथ 2/3 बहुमत मिला। श्रीलंका की राजनीति में राजपक्षे सबसे अहम नाम बन गए। पार्टी में परिवार के ज्यादातर पुरुषों को कैबिनेट विभागों में नियुक्त किया गया था। उन्होंने परिवार में सबसे छोटे भाई बेसिल राजपक्षे को वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया, जिन्हें माफियाओं ने बहुत ऊंचा दर्जा दिया है।
70 साल के बेसिल को विपक्ष मिस्टर टेन परसेंट कहता है, क्योंकि वो हर सरकारी अनुबंध से प्राप्त होने वाले रुपये से कमीशन लेते थे। परिवार के सबसे बड़े भाई चमल को सिंचाई मंत्रालय दिया गया था। उनके बेटे शशेिंद्र राजपक्षे को उर्वरक मंत्री नियुक्त किया गया, जिनके मंत्रालय के तहत चीन से 63 मिलियन डॉलर के 99,000 मीट्रिक टन उर्वरक के साथ विवादास्पद जैविक उर्वरक जहाज का आयात किया गया था।
महिंदा राजपक्षे के सबसे बड़े बेटे नमल, जिन्होंने 2010 में 24 साल की उम्र में संसद में प्रवेश किया था, को खेल मंत्री नियुक्त किया गया था। अभी उन्होंने रविवार, 3 अप्रैल को कैबिनेट में 25 अन्य लोगों के साथ इस्तीफा दे दिया। युवा राजपक्षे को हाल ही में जनता के गुस्से का शिकार होना पड़ा, जब उन्होंने मालदीव में छुट्टियां मनाते हुए अपनी तस्वीरें जारी कीं, जबकि हजारों लोग ईधन, एलपीजी और दूध पाउडर के लिए लंबी लाईन लगाकर इंतजार कर रहे हैं और कई परिवार बिना भोजन के भूखे मर रहे हैं।
युवा राजपक्षे पर 310,000 डॉलर की लॉन्ड्रिंग का आरोप हैं। ये अपराध उन्होंने 2010 से 2015 तक पिछले कार्यकाल के दौरान किया था और वह अभी जमानत पर बाहर हैं। उनके छोटे भाई योशिता, जो उनके पिता महिंदा के चीफ ऑफ स्टाफ भी हैं, उन पर भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। परिवार में राजपक्षे की बहन गांदिनी के पुत्र निपुण राणावाका भी सांसद हैं।
राष्ट्रपति राजपक्षे के चचेरे भाई और पूर्व मंत्री निरुपमा राजपक्षे और उनके पति का नाम भी पेंडोरा पेपर्स में जुड़ा है, जिसमें लगभग 12 मिलियन दस्तावेजों में छिपी हुई संपत्ति, कर से बचाव और दुनिया के कुछ अमीर और शक्तिशाली लोगों का नाम मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े होने की जानकारी है। राजपक्षे के चार भाइयों और दो बेटों ने नौ मंत्री पदों पर कब्जा कर लिया, जिसमें कैबिनेट में 30 में से 7 पदों पर पूरे कैबिनेट का 24 प्रतिशत नियंत्रण था।
राष्ट्रपति और राजपक्षे परिवार के खिलाफ 31 मार्च को बढ़ते विरोध प्रदर्शन के बाद राजनीति से दूर रहने के लिए मजबूर किया गया और उन्होंने घोषणा की है कि वे कैबिनेट में किसी भी पोर्टफोलियो को स्वीकार नहीं करेंगे जिसे किसी भी समय नियुक्त किया जाना है। कभी सिंहल बौद्ध श्रीलंका के रक्षक रहे, राजपक्षे श्रीलंका के लोगों की अब तक की सबसे खराब अस्वीकृति और निराशा का सामना कर रहे हैं, जिनकी आवाजें शनिवार को राजपक्षे घर जाओ की मांग को लेकर सड़कों पर गरज उठीं।
(आईएएनएस)
Created On :   10 April 2022 2:00 PM IST