Asteroid 1998 OR2: पृथ्वी के पास से गुजरेगा बड़ा उल्कापिंड, 19 हजार किमी प्रति घंटा होगी रफ्तार
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। एक बहुत बड़ा उल्कापिंड बुधवार यानी 29 अप्रैल की सुबह पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार, इसकी रफ्तार 19 हजार किलोमीटर प्रति घंटा होगी। हालांकि, इस बात से घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है कि, इस उल्कापिंड के धरती से टकराने की संभावना बेहद कम है।
LIVE NOW: #NASAScience Live answers all your questions about the asteroid close-approach on April 29! Although we are completely safe from Asteroid 1998 OR2, this is your opportunity to learn about Planetary Defense. Watch: https://t.co/9qmSwc2jJr https://t.co/9qmSwc2jJr
— NASA (@NASA) April 27, 2020
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नासा के वैज्ञानिकों का कहना है, नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ स्टडीज के अनुसार, बुधवार सुबह 5:56 बजे ईस्टर्न टाइम में उल्कापिंड पृथ्वी के पास से गुजरेगा। यह उल्कापिंड पृथ्वी पर वैश्विक प्रभाव पैदा करने के लिए पर्याप्त बड़ा है, लेकिन लोगों घबराने की जरूरत नहीं है।
On April 29. asteroid 1998 OR2 will safely pass Earth by 3.9 million miles/6.2 million km. A @Daily_Express article implying there is a "warning" about this asteroid is false. A complete listing of all asteroid passes is always public at https://t.co/i6i8HwCDJq. Carry on!
— NASA Asteroid Watch (@AsteroidWatch) March 4, 2020
जो उल्कापिंड धरती के पास से गुजरने वाला है उसका नाम "1998 OR2" है। यह कल धरती के बेहद करीब से गुजरेगा। अगर यह उल्कापिंड थोड़ा-सा भी अपने स्थान में परिवर्तन करता है, तो पृथ्वी पर बड़ा संकट आ सकता है। ऐसे में भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक उल्कापिंड की दिशा पर नजर बनाए हुए हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसे उल्कापिंड की हर 100 साल में पृथ्वी से टकराने की 50 हजार संभावनाएं होती हैं, लेकिन पृथ्वी के इतिहास में ऐसा बहुत कम बार हुआ है कि, इतना बड़ा उल्कापिंड पृथ्वी से टकराया हो। कुछ मीटर व्यास वाले उल्कापिंड पृथ्वी के वायुमंडल में आते तो हैं, लेकिन वे तुरंत जल जाते हैं। उनके छोटे टुकड़े ही पृथ्वी की सतह तक पहुंच पाते हैं।
एक महीने पहले ही वैज्ञानिकों ने दी थी जानकारी
वैज्ञानिकों ने करीब डेढ़ महीने पहले ही उल्कापिंड 1998 OR2 के पृथ्वी के पास से गुजरने की जानकारी दे दी थी। तब बताया गया था, इसका आकार किसी बड़े पहाड़ जितना है। इसकी रफ्तार को देखते हुए आशंका जताई गई थी कि, जिस रफ्तार से यह उल्कापिंड बढ़ रहा है, अगर पृथ्वी को छूकर भी निकला तो सूनामी भी आ सकती है।
1998 से ही इस उल्कापिंड पर किया जा रहा अध्ययन
इस खगोलीय घटना को केवल टेलीस्कोप की मदद से ही देखा जा सकेगा। नासा को इस खगोलीय पिंड के बारे में 1998 में ही पता चल गया था। जिसके बाद वैज्ञानिकों ने इसका नाम 52768 और 1998 OR2 दिया है। इसकी कक्षा चपटे आकार की है। वैज्ञानिक 1998 से ही लगातार इस पर अध्ययन कर रहे हैं।
Created On :   28 April 2020 10:52 PM IST