क्रिकेट मैदान के किनारे से बॉल लेकर मैदान मारने की मिसाल हैं झूलन, वो कहानी जिसे पर्दे पर उतारने की कोशिश में हैं अनुष्का
- क्रिकेट के मैदान पर झूलन ने कई उपलब्धि अपने नाम की
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बड़े पर्दे पर क्रिकेट के सूरमा खूब छाए रहे। कभी एमएस धोनी पर मूवी बनी कभी सचिन तेंदुलकर पर बायोपिक बनी। पुरूष क्रिकेट बड़े सितारे गढ़ता रहा। जिसकी रोशनी में महिला क्रिकेट के उभरते हुनरबाजों पर किसी की नजर ही नहीं पड़ी।
शायद इसलिए कि किसी दिन वो मैदान में कुछ ऐसा धमाका कर जाएं कि क्रिकेट के दिग्गजों की फेहरिस्त में उनका नाम लेने के लिए लोग मजबूर हो जाएं। जैसे झूलन गोस्वामी। जिन पर बायोपिक बन रही है।
अनुष्का शर्मा जैसी आलादर्जे की हीरोइन झूलन का किरदार निभा रही है। ये बात और है कि अनुष्का रंग और तेवर में झूलन का मुकाबला नहीं कर पातीं। पर ये भी तय है कि उनकी जैसी उम्दा एक्ट्रेस झूलन के जीवन भर के संघर्ष के साथ इंसाफ करने के पैमाने पर तो खरी उतरेंगी ही।
झूलन सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं क्रिकेट की दुनिया में महिला क्रिकेट को पहचान दिलाने में अहम स्थान भी रखती हैं। जिनका सफर एक बॉल गर्ल से शुरू हुआ और एक ऐसी गेंद बाज पर खत्म हुआ जिसका लोहा दुनिया मानती है। यही वजह है कि झूलन की कहानी बड़े पर्दे पर उतरनी चाहिए।
देश में विमेंस क्रिकेट को दिलाई पहचान
2002 में भारत के लिए डेब्यू करने के बाद झूलन गोस्वामी ना सिर्फ अपने प्रदर्शन से देश में महिला क्रिकेट को पहचान दिलाई बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी यह विश्वास दिलाया कि एक लड़की भी तेज गेंदबाजी कर सकती है। 19 साल का शानदार लंबा करियर, जहां क्रिकेट के मैदान पर उन्होंने कई उपलब्धि अपने नाम की।
15 साल की उम्र में सोचा, 19 साल की झूलन ने भारत के लिए किए डेब्यू
जानकर हैरानी होगी कि 15 साल की उम्र तक झूलन का सपना क्रिकेटर बनने का था ही नहीं। अधिकांश बंगालियों की तरह वह भी क्रिकेट की बजाय फुटबॉल को पसंद करती थी। लेकिन एक मैच ने उनकी पूरी कहानी ही बदल दी।
साल 1997 में फीमेल वर्ल्ड कप का फाइनल मैच ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच कोलकाता के इडेन गार्डन में खेला गया था, जहां मैच के लिए झूलन भी मैदान पर एक बॉल गर्ल के रूप में थीं। जब ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप जीता, तो पूरी टीम ने ट्रॉफी के साथ पूरे मैदान का चक्कर लगाया (round of honor), वो पल झूलन के दिल को छू गया और उन्होंने क्रिकेटर बनकर, देश का नाम रोशन करने का फैसला किया।
दादी ने किया सपोर्ट
दरअसल, जहां से झूलन आती है वह पश्चिम बंगाल का एक बहुत ही साधारण कस्बा है, जहां लड़कियों के खेलकूद की बजाय उनकी पढ़ाई-लिखाई और शादी विवाह के बारे में ज्यादा सोचता है। जब उन्होंने क्रिकेट खेलने का फैसला किया तब उनके माता-पिता ने तो विरोध किया पर उनकी दादी ने उन्हें खुलकर सपोर्ट किया।
ट्रेनिंग के लिए हर दिन 80 किलोमीटर का सफर
अगर आप बड़ा सपना देखते है तो उसके लिए मेहनत भी उसी स्तर की करनी पड़ती है। यहीं झूलन ने किया, जब उन्होंने क्रिकेटर बनने का फैसला किया तब उनके कस्बे में ट्रेनिंग के लिए उचित सुविधांए नहीं थी, इसलिए उन्हें सुबह 4:15 या 4:30 बजे उठकर, कोलकाता के लिए 5:20 पर ट्रेन लेनी होती थी। हर दिन पांच घंटे और 80 किलोमीटर का सफर।
कई बार ऐसा भी हुआ कि उनकी ट्रेन निकल गई और प्रैक्टिस में शामिल नहीं हो पाई। उनके अपने लोगों ने भी मनोबल तोड़ने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
एकमात्र सपना- भारत को वर्ल्ड कप जीतते देखना
दूसरे देश को वर्ल्ड कप जीतते (ऑस्ट्रेलिया) हुए देखने से शुरू हुआ यह सपना, अब अपने देश को वर्ल्ड कप जिताने पर ही खत्म होगा। हालांकि झूलन अपने एक इंटरव्यू में ये बोल चुकी हैं कि वो वर्ल्ड कप विनिंग टीम का हिस्सा न बन पाए, न सही, लेकिन देश को महिला टीम के जरिए ये गौरव जरूर मिलना चाहिए।
टीम इंडिया के दिग्गज खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर भी इस सब्र की मिसाल हैं। जिन्होंने इस कप को हाथ में उठाने के लिए पूरे छह वर्ल्ड कप तक इंतजार किया।
दुनिया में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज
झूलन गोस्वामी विमेंस वन-डे इंटरनेशनल में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज हैं, उन्होंने 192 मैचों में 21.59 की औसत और 3.31 की इकॉनमी से 240 विकेट झटके हैं। इसके अलावा 12 टेस्ट और 68 टी-20 में उन्होंने क्रमश: 44 और 56 विकेट चटकाए हैं।
इसके अलावा उनकी रफ्तार 120 किमी प्रति घंटा से ज्यादा है जो महिला क्रिकेट में बहुत मायने रखती है।
Created On :   6 Jan 2022 7:02 PM IST