सुदीप और अजय देवगन के बीच हिंदी भाषा को लेकर हुई बहस, तो याद आया 1980 दशक का आंदोलन
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। हाल ही में अजय देवगन और कन्नड़ एक्टर किच्चा सुदीप के बीच हिंदी भाषा को लेकर तीखी बहस छिड़ी। इस जंग में अब कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के कलाकार और राजनेता भी कूद पड़े है। दक्षिण भारत में हिंदी थोपने की प्रवृत्ति ने एक आंदोलन की यादें ताजा कर दी। कन्नड़ सिनेमा के दिग्गज डॉ राजकुमार ने 1980 में कन्नड़ को प्रथम भाषा का दर्जा देने की मांग करते हुए गोकक आंदोलन का नेतृत्व किया था।
आंदोलन कन्नड़ साहित्यकारों और कार्यकर्ताओं द्वारा शुरू किया गया था। डॉ राजकुमार के नेतृत्व के बाद आंदोलन और तेज हो गया। देखते ही देखते लाखों लोग इससे जुड़ने लगे। ऐतिहासिक आंदोलन ने तत्कालीन राज्य सरकार को कर्नाटक में कन्नड़ को तुरंत पहली भाषा का दर्जा देने के लिए मजबूर किया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि राज्य हिंदी थोपने का विरोध हमेशा से करता आया है। एक्टर और निर्माता अनिल बी. नचप्पा ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि बॉलीवुड को नई वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए। हिंदी अब भारतीय सिनेमा का केंद्र नहीं है जैसा कि पहले हुआ करता था। अब कोई भी सुपरहीरो बन सकता है, बशर्ते बेहतरीन कंटेंट हो।
उन्होंने कहा, पांच से छह साल पहले, दक्षिणी सिनेमा को समर्थन नहीं मिला था, क्योंकि केंद्र सरकार केवल हिंदी फिल्मों को प्रदर्शित और प्रचारित करती थी। क्षेत्रीय सिनेमा को अन्य राज्यों में रिलीज करने के लिए कोई मंच या समर्थन नहीं था। उन्होंने आगे कहा, अब जो भी सर्वश्रेष्ठ देगा, चाहे वह बॉलीवुड से हो या क्षेत्रीय सिनेमा, वह राष्ट्रीय स्तर पर सफल होगा। दरअसल, केजीएफ चैप्टर-1 से पहले रिलीज हुई तिथि से फिल्मी दुनिया ने कन्नड़ सिनेमा को नोटिस किया। फिल्म बहुत कम बजट पर बनी थी, लेकिन मूवी ने लोकार्नो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन लेपर्ड अवार्ड जीता।
कवि जाएल वर्मा ने कहा, हिंदी भाषा थोपना नहीं चाहिए। यह सत्ताधारी भाजपा की राजनीति करने की रणनीति है। जिनके पास काम नहीं है वे इसके शिकार होंगे। बॉलीवुड एक्टर अजय देवगन के पास फिलहाल काम नहीं हैं। एक्ट्रेस और फिल्ममेकर अनीता भट ने कहा, मैं किच्चा सुदीप और अजय देवगन के स्टार वार में नहीं फंसना चाहती। सुदीप ने हिंदी के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है। बल्कि उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में काम किया है। कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री का विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा, मैंने एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। ब्लैकबोर्ड पर रोज लिखा होता था कि हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है, तो अब विरोध क्यों है।
(आईएएनएस)
Created On :   1 May 2022 6:30 AM GMT