तस्वीर को देखकर ही पृथ्वीराज चौहान को अपना दिल दे बैठी थी संयोगिता, जानिए इन दोनों की ऐतिहासिक प्रेम कहानी

Sanyogita was giving her heart to Prithviraj Chauhan just after seeing the picture, know the historical love story of these two
तस्वीर को देखकर ही पृथ्वीराज चौहान को अपना दिल दे बैठी थी संयोगिता, जानिए इन दोनों की ऐतिहासिक प्रेम कहानी
Prithviraj Movie :   तस्वीर को देखकर ही पृथ्वीराज चौहान को अपना दिल दे बैठी थी संयोगिता, जानिए इन दोनों की ऐतिहासिक प्रेम कहानी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अक्षय कुमार की मच अवेटेड मूवी पृथ्वीराज 3 जून को रिलीज के लिये तैयार है। बात करें फिल्म के ट्रेलर की तो बीते 9 मई को रिलीज हो चुका है। ट्रेलर के एक हिस्से में जहां सम्राट पृथ्वीराज दुश्मनों से लोहा लेते नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरे हिस्से में उनकी और संयोगिता की प्रेम कहानी दिखाई गई है। फिल्म में पृथ्वीराज सिंह चौहान का किरदार सुपरस्टार अक्षय कुमार एवं संयोगिता का किरदार पूर्व मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर ने निभाये हैं। फिल्म के धमाकेदार ट्रेलर को देखकर हर कोई इसकी तारीफ कर रहा है, खासकर संयोगिता और पृथ्वीराज की प्रेम कहानी वाले दृश्यों की चर्चा हर तरफ हो रही है। आज हम दोनों की ऐतिहासिक प्रेम कहानी के बारे में बात करेंगे।

तस्वीरों से हुई प्यार की शुरुआत
संयोगिता कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री थी। एक बार कन्नौज में पन्नाराय नाम के एक प्रसिध्द चित्रकार आये। वह अपने साथ भारत के नामचीन राजाओं के चित्र (तस्वीर) भी लाये। इन तस्वीरों की प्रदर्शनी राजमहल में लगाई गई। प्रदर्शनी में लगे पृथ्वीराज चौहान की तस्वीर को देखकर हर कोई उनकी प्रशंसा कर रहा था। लोगों से तारीफ सुन संयोगिता भी पृथ्वीराज की तस्वीर देखने चली गईं। संयोगिता की नजर जैसे ही पृथ्वीराज के तस्वीर पर गई, वो उसमें खो गईं। केवल तस्वीर देखकर ही संयोगिता ने पृथ्वीराज को अपना दिल दे दिया। साथ ही उनसे ही शादी करने का फैसला कर लिया था। इसके बाद चित्रकार को बुलाकर संयोगिता ने अपना चित्र बनवाया एवं उसे दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा। चित्रकार द्वारा संयोगिता की तस्वीर जब पृथ्वीराज के सामने प्रस्तुत हुईं, तो वह संयोगिता के रुप में खो गए और मन ही मन उन्हें प्यार करने लगे। इस तरह दोनों के बीच प्रेम कहानी की शुरुआत हुई।

संयोगिता को भरे स्वयंवर से उठा ले गये थे पृथ्वीराज
दोनों के बीच परवान चढ़ते प्यार का पता संयोगिता के पिता जयचंद को पता चला गया। उन्होंने इस रिश्ते को मानने से साफ मना कर दिया। रिश्ते को न मानने का कारण उनका पृथ्वीराज को नपसंद करना था। उसने संयोगिता से साफ कह दिया कि तुम्हारा रिश्ता पृथ्वीराज के साथ नहीं हो सकता। पिता द्वारा मना करने पर संयोगिता ने उनसे प्रार्थना की वह ऐसा न करें, वह पृथ्वीराज को ही चाहती हैं और उन्हीं से विवाह भी करना चाहती हैं। राजा ने जब यह बात सुनी तो दोनों को अलग करने के उद्देश्य से एक कुटिल चाल चली। उसने राजकुमारी संयोगिता का स्वंयवर और राजसूय यज्ञ कराने का फैसला किया। जयचंद ने देश सभी नामी-गिरामी राजाओं को तो आमंत्रण दिया, पृथ्वीराज को भी दिया, लेकिन उनके सामंतों को यह बात सही नही लगी जिस वजह से पृथ्वीराज द्वारा इस निमंत्रण को ठुकरा दिया गया। निमंत्रण ठुकराने को जयचंद ने अपना अपमान समझा और जहां यज्ञमंडप था उसी के पास द्वारपाल के रुप में अजमेर वंश के वारिश पृथ्वीराज की मूर्ति लगा दी गई।  

यहां स्वयंवर के दिन राजकुमारी संयोगिता ने राजाओं की सभा में पृथ्वीराज को न पाकर निराश संयोगिता ने अन्य राजाओं को चुनने से मना कर दिया। अपने प्रेमी  की वो मूर्ती जो द्वारपाल की जगह लगी थी उस पर माला पहनाने लगती हैं, लेकिन इतने में एंट्री होती है पृथ्वीराज की। अपने प्रेमी को सामने पाकर संयोगिता माला उनको पहनाती हैं। इसके बाद पृथ्वीराज संयोगिता को अपने घोड़े पर बैठाकर सबके सामने वहां से ले जाते हैं। 
बाद में यही घटना भारत में मुगल आक्रमण का तात्कालिक कारण बनी। वह  इसिलिए क्योंकि मोहम्मद गौरी भारत पर शासन करना चाहता था और उसकी इस राह में सबसे बड़ा रोड़ा पृथ्वीराज थे। संयोगिता से विवाह के बाद जयचंद पृथ्वीराज और चिढ़ गए एवं उनसे अपना बदला लेने के लिए मोहम्मद गौरी को सैन्य मद्द देने को राजी हो गए। जिसकी वजह से गौरी पृथ्वीराज चौहान से कई युद्ध हारने के बाद अंतत:  जीत गया।    

ऐतिहासिक प्रेम कहानी का अंत 
पृथ्वीराज को हराने के बाद मोहम्मद गौरी ने उन्हें कैद कर लिया। पृथ्वीराज और उनके बाल सखा चंदवरदाई ने दुश्मनों के हाथों से मरने से बेहतर एक दूसरे को मारना उचित समझा। 
पृथ्वीराज के मरने की सूचना जब पृथ्वीराज को मिली तो वह रोने बिलखने लगीं और अंदर से पूरी तरह टूट गई। साथ ही गौरी का सेनापति जो किले की स्त्रियों को पाना चाहता है। उसने किले पर आक्रमण कर दिया। अपने मान की रक्षा के लिए रानी संयोगिता ने किले की अन्य स्त्रियों के साथ कुंड में आग लगाकर खुद को अग्नि के हवाले कर दिया। 
  

Created On :   12 May 2022 9:11 PM IST

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