Malegaon News: मालेगांव मध्य : महाविकास आघाड़ी और महायुति के बिना हो रहा है चुनाव

मालेगांव मध्य : महाविकास आघाड़ी और महायुति के बिना हो रहा है चुनाव
  • अल्पसंख्यकों के वोट पाने के लिए मची है होड़
  • विकास और अन्य मुद्दे उछाले जा रहे

Malegaon News सोमनाथ कोठुले मालेगांव मध्य चुनाव क्षेत्र में महाविकास आघाड़ी और महायुति के अधिकृत उम्मीदवार नहीं हैं। इस चुनाव क्षेत्र में इंडिया आघाड़ी के मुख्य राजनीतिक दल कांग्रेस ने आपना उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने भी अपना स्वतंत्र उम्मीदवार दिया हैं। महायुति में शामिल भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना शिंदे गुट के यहां कोई उम्मीदवार नहीं हैं। इस राजनीतिक समीकरणों में एक तस्वीर ऐसी सामने आ रही है कि अल्पसंख्यक समुदाय के वोट प्राप्त करने के लिए आईएमआईएमआई ने विधायक मुफ़्ती मोहम्मद इस्माइल अब्दुल खालिक और कांग्रेस ने एजाज बेग तथा समाजवादी शान-ए-हिंद निहाल अहमद को अपना अधिकृत उम्मीदवार बनाया है।

पूर्व विधायक आसिफ शेख ने इंडियन सेक्युलर पार्टी बनाते हुए खुद को उम्मीदवार घोषित किया है। यहां पर चौरंगी लड़त हो रही है। चुनाव का नतीजा कोई भी आए ऐसा लगता है कि वह महाविकास आघाड़ी का ही हिस्सा रहेंगे। केंद्र की इंडिया आघाड़ी के मुख्य दल मालेगाव में एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी हैं। राजनीतिक मंच पर हर चुनाव क्षेत्र की कुछ मुख्य समस्याएं होती हैं, उस प्रकार से मालेगांव में ड्रग्स की बढ़ती नशाखोरी एक प्रमुख समस्या है। यहां चुनाव प्रचार में उम्मीदवार एक-दूसरे के चित्र और चरित्र पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, बल्कि समाज में फैली बुराई को लेकर चिंतित हैं और समाज को इस नशाखोरी से मुक्त करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने का वादा आवाम से कर रहे हैं। इसके बाद विकास और अन्य मुद्दे उछाले जा रहे हैं।

चुनाव प्रचार के लिए कद्दावर नेता मालेगाव पहुंच रहे हैं। समाजवादी के प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश के रामपूर लोकसभा सीट पर आजम खान को रिप्लेस करने वाले मौलाना मुहिबउल्ला नदवी और लखनऊ से महशुहर शायर मुन्नवर राणा की कन्या सुमैय्या राणा भी पहुंची हैं। एमआईएम के लिये हैदरबाद के नामपल्ली के विधायक मेराज हुसेन जाफर और कांग्रेस प्रचार के लिए कर्नाटक से राज्यसभा सांसद डॉ. नासीर हुसैन यहां पहुंचे, जिन्होंने अपनी-अपनी पार्टियों का झंडा बुलंद किया। मालेगाव में यूपी, दखनी, खान्देशी का मुद्दा भी जमकर भुनाया जा रहा है।

मालेगांव में करीब 3 लाख 40 हजार मतदाता हैं। इस बार करीब 35 हजार नए मतदाता दर्ज हुए। जबकि, वर्ष 2019 के चुनाव में मध्य मालेगांव 46 हजार मतदाता के नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे। मालेगाव में मजदूर मतदाताओं की संख्या अधिक है, जो पावरलूम उदयोग का हिस्सा हैं। कई पुश्तों से वह मालेगांववासी हैं और अपने परिवार के साथ यहां पर बस चुके हैं, इसलिये कोविड संक्रमण के दौरान यहां का उदयोग प्रभावित नहीं हुआ। भिवंडी, इचलकरंजी जैसी स्थिति यहां पर नहीं है।

मालेगांव स्लम : मालेगांव महानगर पालिका सीमा क्षेत्र का 67. 13 प्रतिशत बिल्ड-अप एरिया पर स्लम फैला हुआ हैं। जहां पर पूरी तरह अबतक बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंची हैं। मालेगांव में महापौर, उपमहापौर, स्थायी समिति सभापति सहित 83 नगरसेवक कार्यरत हैं। महानगर पालिका ने विकास कार्य करने के लिए वर्ष 2022 में 584 करोड़ 59 लाख 10 हजार 88 रुपए का बजट मंजूर किया गया हैं। इससे पूर्व हजारों करोड़ रुपए मालेगांव के विकास के लिए खर्च हो चुके हैं। इसके बावजूद मालेगाव मध्य की स्थिति अत्यंत दयनीय बनी हुई हैं। सड़कें, स्कूल खस्ता हालात में हैं। मतदाता स्वच्छता और स्वास्थ्य समस्या का सामना वर्षों से कर रहे हैं।

सर्वाधिक बागियों का शहर : राज्य में सर्वाधिक मस्जिदों वालों शहर में मालेगांव दूसरे और सर्वाधिक बागियों की सूची में पहले नंबर पर है। यहां करीब 411 मस्जिदें हैं। पहली मस्जिद पेशवा सरदार नारोशंकर ने अपने सैनिकों के लिए बनवाई थी। इसके बाद 1799 में दूसरी ओर 1839 में तीसरी मस्जिद बनी। 1860 तक शहर के मीनारों मस्जिद से शहर को जलापूर्ति होती थी। यहां की लाल मस्जिद को उत्कृष्ट वास्तु संरचना पुरस्कार मिल चुका है। शहर की सबसे बड़ी जामा मस्जिद के पेशे इमाम विधायक मौलना मुफ्ती हैं, जो जिन्होंने इससे पूर्व तीन पार्टियां बदली हैं और अब वह एआईएमआईएम के विधायक और उम्मीदवार हैं।

Created On :   13 Nov 2024 12:25 PM IST

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