देश में कानूनी पढ़ाई की बिगड़ती गुणवत्ता पर चिंतित सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court concerned over the deteriorating quality of legal education in the country
देश में कानूनी पढ़ाई की बिगड़ती गुणवत्ता पर चिंतित सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली देश में कानूनी पढ़ाई की बिगड़ती गुणवत्ता पर चिंतित सुप्रीम कोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में कानून की पढ़ाई में तत्काल सुधार किए जाने की जरूरत पर जोर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश में कानून की पढ़ाई की बिगड़ती गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की और जोर दिया कि पेशे में लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए गुणवत्ता जांच जरूरी है। शीर्ष अदालत बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने अन्य फील्ड में रोजगार कर रहे व्यक्तियों को अपनी नौकरी छोड़े बिना ही अधिवक्ता के रूप में नामांकन करने की अनुमति दी थी।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश ने नोट किया कि प्रवेश स्तर पर प्रणाली में सुधार किया जा सकता है और उचित परीक्षा आयोजित करना बीसीआई की जिम्मेदारी है। इसने लॉ स्कूलों पर कड़ी जांच पर जोर दिया और कहा कि प्रवेश स्तर पर, अधिक गंभीर मानदंड महत्वपूर्ण हैं। इस मामले में न्याय मित्र के रूप में पेश होने वाले वकील ने एक तंत्र तैयार करने का सुझाव दिया, जहां अन्य रोजगार से आने वाले लोगों को नामांकित नहीं किया जाता है।

वकील ने कहा कि व्यक्ति को बार के साथ नामांकन करने की अनुमति दी जा सकती है, जब वे लिखित परीक्षा के बाद कठोर मौखिक परीक्षा उत्तीर्ण कर लेते हैं। पीठ ने कहा कि नामांकन की अनुमति देना उचित नहीं हो सकता है, जब कोई व्यक्ति अभी भी अपने मौजूदा रोजगार पर कायम है। इसने आगे बताया कि जब बार में नामांकित एक पेशेवर कानूनी पेशा छोड़ देता है, तो वे अपना नामांकन प्रमाण पत्र नहीं देते हैं, जिसे बीसीआई को भी विनियमित करना चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता एस. एन. भट ने पीठ के समक्ष बीसीआई का प्रतिनिधित्व किया। शीर्ष अदालत ने बीसीआई के वकील से कहा कि इसकी परीक्षा में ज्ञान का परीक्षण होना चाहिए और बताया कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोग कक्षाओं में उपस्थित हुए बिना कानून की डिग्री प्राप्त करते हैं और ऐसे उदाहरणों का हवाला देते हैं जहां किसी गैर-पेशेवर जगह पर कानून के पाठ्यक्रम चल रहे हैं। इसने आगे जोर दिया कि कानूनी पेशे में प्रवेश के लिए और अधिक गंभीर मानदंड निर्धारित करना अनिवार्य है।

पीठ ने कहा, यह पूरी तरह से गुणवत्ता को कमजोर कर रहा है। बिना कक्षाओं में भाग लेने वाले व्यक्ति को कानून की डिग्री मिल जाती है। अदालत ने यह भी नोट किया कि हम अपनी जरूरतों पर गौर किए बिना हर साल ढेरों वकील तैयार कर रहे हैं। देश में अंधाधुंध लॉ कालेज खुलने से कानून की पढ़ाई का स्तर गिरा है। वक्त का तकाजा है कि कानून की पढ़ाई में सुधार लाया जाए। पीठ ने बीसीआई के वकील से कहा कि गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए प्रवेश को नियंत्रित करें। मामले में विस्तृत सुनवाई के बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को निर्धारित की।

(आईएएनएस)

Created On :   25 Jan 2022 11:00 PM IST

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