जेपीएससी ने हाईकोर्ट में सिविल सर्विस परीक्षा पीटी रिजल्ट में गड़बड़ी की बात मानी

JPSC admits to disturbances in civil service examination PT result in High Court, main examination
जेपीएससी ने हाईकोर्ट में सिविल सर्विस परीक्षा पीटी रिजल्ट में गड़बड़ी की बात मानी
मुख्य परीक्षा स्थगित जेपीएससी ने हाईकोर्ट में सिविल सर्विस परीक्षा पीटी रिजल्ट में गड़बड़ी की बात मानी
हाईलाइट
  • जेपीएससी ने हाईकोर्ट में सिविल सर्विस परीक्षा पीटी रिजल्ट में गड़बड़ी की बात मानी
  • मुख्य परीक्षा स्थगित

डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी)की सिविल सर्विस की मुख्य परीक्षा स्थगित कर दी गयी है। मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट में जेपीएससी परीक्षा से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान आयोग की ओर से यह जानकारी दी गयी। जेपीएससी ने स्वीकार किया कि प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट में आरक्षण नियमों का पालन नहीं हो पाया। इस वजह से वह इसकी समीक्षा करते हुए नये सिरे से संशोधित रिजल्ट जारी करेगा।

जेपीएससी ने सातवीं से दसवीं सिविल सेवा की संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा पिछले साल19 सितंबर को ली गयी थी। 42 दिनों के बाद प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम का जो रिजल्ट जारी हुआ था, उसमें कई गड़बड़ियां सामने आयी थीं। इस परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर छात्रों ने कई बार प्रदर्शन किया था, लेकिन उनकी तमाम आपत्तियों को दरकिनार करते हुए आयोग ने आगामी 28 जनवरी से मुख्य परीक्षा लेने का कार्यक्रम जारी कर दिया था।

इस परीक्षा पर रोक लगाने की मांग को लेकर संयम कुमार नामक एक परीक्षार्थी ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को जेपीएससी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए नये सिरे से रिजल्ट जारी करने और आगामी 28 जनवरी से होनेवाली मुख्य परीक्षा को स्थगित करने की जानकारी अदालत को दी।

झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने इस याचिका में सोमवार को भी सुनवाई की थी। इस अदालत ने जेपीएससी से तीन बिंदुओं पर जवाब मांगा था। अदालत ने पूछा था कि सातवीं जेपीएससी में कैटेगरीवाइज कितनी सीटें थीं, प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण दिया गया है या नहीं और आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी सामान्य कैटगरी में चयनित हुए हैं?

सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया था कि सातवीं जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण दिया गया है, जबकि झारखंड सरकार की ओर कभी ऐसी नीति नहीं बनायी गयी है, जिसके अनुसार प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण का लाभ दिया जा सके। उन्होंने अपनी दलील में कहा था कि सामान्य कैटेगरी की 114 सीट थी। नियमानुसार इसके पंद्रह गुना परिणाम जारी होना चाहिए। इस तरह सामन्य कैटेगरी में 1710 अभ्यर्थियों का चयन होना चाहिए, लेकिन मात्र 768 का ही चयन किया गया है। मंगलवार को जेपीएससी ने भी यू-टर्न लेते हुए वादी के अधिवक्ता द्वारा रखे गये स्टैंड को स्वीकार कर लिया।

 

आईएएनएस

Created On :   25 Jan 2022 2:00 PM IST

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