संकष्टी चतुर्थी 2020: इस पूजन विधि से करें गणपति को प्रसन्न, जानें इस व्रत का महत्व
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इनमें संकष्टी चतुर्थी को सभी कष्टों का हरण करने वाला माना जाता है। आज (07 अगस्त, शुक्रवार) भाद्रपद मास की संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान गणेश की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन श्रद्धालू इस व्रत को करने के साथ ही भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना करते हैं।
संकष्टी चतुर्थी के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। शुक्रवार के दिन के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार, शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का महत्व बढ़ जाता है। माना जाता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में श्रीगणेश की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति और मनचाहा वरदान भी प्राप्त होता है।
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पूजन विधि
- सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें। पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। - चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
- अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
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व्रत विधि
इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।
Created On :   7 Aug 2020 4:04 AM GMT