Chaitra Navratri 2025: मां कालरात्रि की पूजा से दूर होते हैं, सभी कष्ट, जानिए मंत्र और विधि

- मां दुर्गा का सातवां स्वरूप है मां कालरात्रि है
- इस दिन मां कालरात्रि की आराधना की जाती है
- मां कालरात्रि भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं
डिजिटल डेस्क, भोपाल। चैत्र नवरात्रि अपने आखिरी चरण की ओर है और इस पर्व में सप्त्मी तिथि को मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा किए जाने का विधान है। इस दिन व्रत रखने के साथ ही पूरी श्रद्धा और भक्ति से मां कालरात्रि की आराधना की जाती है। यह मां दुर्गा का सातवां स्वरूप है। मां कालरात्रि भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं और इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि, मां कालरात्रि की पूजा से नकारात्मक प्रभाव बेअसर होते हैं, यही नहीं इनकी पूजा से भय का भी नाश होता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि की उपासना से शत्रु और विरोधी दोनों नियंत्रित होते हैं। आइए जानते हैं कैसा है मां कालरात्रि का स्वरूप, पूजा विधि और मंत्र के बारे में...
मां कारात्रि का स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार काला रंग होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा गया। वहीं इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें "शुभंकारी" भी कहा गया है। माता कालरात्रि तीन नेत्रों वाली माता है। इनका रंग काला है और ये अपने विशाल बालों को फैलाए हुए हैं। इनकी चार भुजाएं हैं और सिंह के कंधे पर सवार मां कालरात्रि का विकराल रूप अद्भुत हैं। मां कालरात्रि की सवारी गधा है। देवी कालरात्रि अपने हाथ में चक्र, गदा, तलवार,धनुष,पाश और तर्जनी मुद्रा धारण किए हुए हैं। वहीं माता माथे पर चन्द्रमा का मुकुट धारण किए हुए हैं।
पूजा विधि
- मां कालरात्रि के पूजन के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करें।
- मां की आराधना करें।
- मां को रोली,अक्षत, दीप, धूप अर्पित करें।
- मां को रातरानी का फूल और गुड़ अर्पित करें।
- इसके बाद दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- मां कालरात्रि की आरती करें।
मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
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Created On :   4 April 2025 10:55 PM IST