Pradosh Vrat 2025: कब है गुरु प्रदोष व्रत? जानिए सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

- गुरु प्रदोष व्रत 10 अप्रैल को रखा जाएगा
- प्रदोष व्रत से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
- शिव पुराण में व्रत का उल्लेख मिलता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व बताया गया है, जो कि हर महीने में दो बार आता है। फिलहाल, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि आने वाली है और यह गुरुवार को होने के कारण इसे गुरु प्रदोष (Guru Pradosh) कहा गया है। तारीख के हिसाब से यह व्रत 10 अप्रैल को रखा जाएगा। यह दिन देवों के देव महादेव यानि कि भगवान शिव को समर्पित है।
इस दिन भगवान शिव जी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि, जो व्यक्ति गुरु प्रदोष व्रत का पालन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। शिव पुराण में भी इस व्रत की महिमा का विस्तृत उल्लेख मिलता है। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि...
प्रदोष व्रत का मुहूर्त
इस बार त्रयोदशी तिथि का आरंभ 9 अप्रैल की रात 10 बजकर 55 मिनट बजे से होगा। वहीं इसका समापन 11 अप्रैल की रात 1 बज बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार यह व्रत 10 अप्रैल को ही रखा जाएगा।
इस विधि से करें पूजा
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त काल में उठ कर स्नानादि से निवृत्त हों।
- इसके बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य दें और व्रत का संकल्प लें।
- शाम के समय सूर्यास्त होने के एक घंटे पहले पुनः स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद ईशान कोण में किसी एकांत स्थान में पूजा करने का स्थान बनाएं।
- सबसे पहले गंगाजल से उस जगह को शुद्ध करें फिर इसे गाय के गोबर से लीपें।
- इसके बाद कमल पुष्प की आकृति को पांच रंगों से मिलाकर रंगोली या चौक तैयार करें।
- इसके बाद आप कुश के आसन पर उत्तर-पूर्व की दिशा यानि ईशान कोण में बैठकर भगवान शिव की पूजा करें।
- भगवान शिव का जलाभिषेक करें साथ में ॐ नम: शिवाय: का जाप भी करते रहें।
- इसके बाद विधि-विधान के साथ शिव की पूजा करें और गुरु प्रदोष व्रत कथा को सुन और सुनाकर आरती करें और सभी को प्रसाद बाटें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   8 April 2025 5:50 PM IST