Shahdol News: उपार्जन एजेंसी की अव्यवस्था को लेकर भड़का आक्रोश, गेहूं खरीदी संबंधी प्रशिक्षण का समिति प्रबंधकों ने किया बहिष्कार

उपार्जन एजेंसी की अव्यवस्था को लेकर भड़का आक्रोश, गेहूं खरीदी संबंधी प्रशिक्षण का समिति प्रबंधकों ने किया बहिष्कार
  • उपार्जन एजेंसी की अव्यवस्था को लेकर भड़का आक्रोश
  • गेहूं खरीदी संबंधी प्रशिक्षण का समिति प्रबंधकों ने किया बहिष्कार
  • किसानों का आंदोलन 7 से

Shahdol News: खरीफ सीजन की फसलों के उपार्जन का कार्य एनसीसीएफ नामक नई नवेली एजेंसी को दिया जाना किसानों के लिए परेशानी का कारण तो बना ही, साथ ही शासन-प्रशासन के लिए गले की हड्डी बन चुका है। धान खरीदी कार्य बंद होने के डेढ़-दो माह बाद भी हजारों किसानों के साथ ही खरीदी करने वाली समितियों का करोड़ों रुपए का भुगतान नहीं होने से आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। जिसकी बानगी मंगलवार को उस समय सामने आई जब रबी सीजन के उपज की खरीदी के लिए समिति प्रबंधकों ने आयोजित प्रशिक्षण का बहिष्कार कर दिया, वहीं किसानों ने भी आंदोलन की हुंकार भरते हुए 7 मार्च से सडक़ पर उतरते हुए आंदोलन की चेतावनी दे डाली है। किसानों और समिति प्रबंधकों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि स्थानीय स्तर से लेकर भोपाल तक शासन-प्रशासन द्वारा उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार जिले में 6153 किसानों का लगभग 109.84 करोड़ रुपया का भुगतान बकाया है। वहीं खरीदी केंद्रों का 9-10 करोड़ रुपए का कमीशन एवं प्रासंगिक व्यय बकाया है।

पिछले साल का भी करोड़ों का कमीशन तक नहीं मिला

रबी विपणन में गेहूं उपार्जन कार्य के लिए 4 मार्च को कलेक्ट्रेट में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। बैठक में शामिल होने पहुंचे समिति प्रबंधकों ने शुरुआत में ही पिछला साहित मौजूदा धान उपार्जन कमीशन की बात रखी। संतोषजनक आश्वासन नहीं मिलने के बाद सभी लोग प्रशिक्षण बैठक से उठकर बाहर चले गए। समिति प्रबंधकों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि उनका विरोध इसलिए है क्योंकि पिछले सीजन में की गई गेहूं खरीदी का कमीशन तो बकाया है ही इस साल धान खरीदी का भी एक पैसा भुगतान नहीं किया गया है। इसी कमीशन की राशि से कंद्रों में लेबर पेमेंट सहित अन्य प्रकार की व्यवस्थाओं का खर्च होता है। जिन समितियों ने परिवहन का कार्य किया उनका भुगतान भी लटका है। ब्यौहारी में समितियों को परिवहन का अलग से 55 लाख के विरुद्ध केवल 14 लाख ही दिया गया। कंपनी के सर्वेयरों द्वारा परेशान किया गया सो अलग। इसी प्रकार भुगतान नहीं मिलने से किसानों द्वारा उन्हें आकर परेशान किया जा रहा है। प्रबंधकों का कहना था कि समस्या को लेकर पहले कलेक्टर से मिलकर चर्चा करेंगे, इसके बाद आगे क्या करना है तय करेंगे।

किसानों ने कहा-अब आंदोलन ही बचा अंतिम विकल्प

दूसरी ओर किसानों ने भी आंदोलन का बिगुल फंूक दिया है। प्रशासन को दी गई अंतिम चेतावनी की समय सीमा समाप्त होने के बाद भुगतान के लिए किसान 7 मार्च से आंदोलन करेंगे। भारतीय किसान संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने प्रशासन को आगाह करते हुए चेतावनी दी है कि 7 तारीख को घेराव के बाद 10 मार्च को एनसीसीएफ एवं कलेक्टर कार्यालय में तालाबंदी के साथ उग्र आंदोलन किया जाएगा। किसी भी अप्रिय स्थिति के लिए प्रशासन स्वयं जिम्मेदार होगा। किसानों का कहना है कि राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ एनसीसीएफ को इस साल धान बेचकर किसान हलाकान हैं। प्रशासन के साथ कई दौर की चर्चा उपरांत भी किसानों को उनकी उपज एवं खरीदी केंद्रों के प्रासंगिक व्यय का भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है। जिससे किस्तें न भर पाने के कारण कई किसानों के ट्रैक्टर फाइनेंस कंपनी ने खींच लिए, कई किसानों को बेटियों के विवाह की तारीखें आगे बढ़ानी पड़ीं। परिवार में बीमारों का इलाज नहीं करा पा रहे किसानों का धैर्य अब टूट चुका है। प्रशासन की अनदेखी के चलते किसान अत्यधिक आक्रोशित हैं। अब 7 मार्च को सुबह 11 बजे जिले के हजारों प्रभावित किसान अपने साथ कम से कम एक सप्ताह का राशन पानी, लकड़ी, कंडा ट्रैक्टरों से लेकर आएंगे।

Created On :   6 March 2025 5:38 PM IST

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