भास्कर खास: दवा की गुणवत्ता कैसे बताएं, सीएमएचओ बोले-सात माह में डीआई को देखा ही नहीं

दवा की गुणवत्ता कैसे बताएं, सीएमएचओ बोले-सात माह में डीआई को देखा ही नहीं
  • दवा दुकानों की नहीं हो रही नियमित जांच ड्रग इंस्पेक्टर की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
  • अप्रैल में कुछ मेडिकल स्टोर की जांच में फार्मासिस्ट नहीं मिलने पर नोटिस जारी किया जा रहा है।
  • दवा जब मार्केट में आती है तो परीक्षण के बाद आती है

डिजिटल डेस्क,शहडोल। मेडिकल स्टोर से मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप है या नहीं? कहीं असली की जगह नकली दवाएं तो नहीं बिक रही? दवाओं का मरीजों पर असर के बजाए नुकसान तो नहीं हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल है जिनका जवाब मिलना इसलिए मुश्किल है क्योंकि दवा दुकान में मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता संबंधी जांच और रिपोर्ट की जानकारी सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) को ही नहीं है।

सीएमएचओ डॉ. एके लाल का कहना है कि डीआई (ड्रग इंस्पेक्टर) सीएमएचओ के अधीन काम तो करते हैं, लेकिन शहडोल जिले में स्थिति यह है कि सात माह हो गए डीआई को देखा तक नहीं है। जबकि जिले में मेडिकल स्टोर की जांच से लेकर सैंपलिंग और कार्रवाई की रिपोर्ट डीआई को समय-समय पर सीएमएचओ को देनी चाहिए।

मेरा हेडक्वार्टर जबलपुर है, शहडोल का अतिरिक्त प्रभार है। बुधवार को शहडोल आते हैं। इस बार अवकाश है इसलिए गुरुवार को आउंगा। शहडोल आने के दौरान सीमित समय रहता है इसलिए सीएमएचओ से मिलना नहीं हो पाया। अप्रैल में कुछ मेडिकल स्टोर की जांच में फार्मासिस्ट नहीं मिलने पर नोटिस जारी किया जा रहा है।

देवेंद्र जैन प्रभारी ड्रग इंस्पेक्टर शहडोल

ढाई माह क्या हुआ

जिले में मेडिकल स्टोर की जांच में लापरवाही का आलम यह है कि अप्रैल माह में कुछ मेडिकल स्टोर की जांच की जानकारी डीआई द्वारा दी गई है। इसके बाद ढाई माह क्या हुआ? सीएमएचओ ने बताया कि जिले में डीआई क्या करते हैं इसकी जानकारी ही नहीं है।

यह कैसा मेडिकल लीव

शहडोल में रहे ड्रग इंस्पेक्टर डेढ़ साल से मेडिकल लीव पर हैं और इस कारण जबलपुर के डीआई को अतिरिक्त प्रभार पर बड़ा जिला दे दिया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि कोई अधिकारी डेढ़ साल से मेडिकल लीव पर हैं तो दवा जैसे आमजनों से जुड़ी महत्वपूर्ण विभाग में ड्रग इंस्पेक्टर का काम प्रभार की व्यवस्था के भरोसे कैसे चल रहा है।

दवाओं की गुणवत्ता जांच जरूरी

दवा जब मार्केट में आती है तो परीक्षण के बाद आती है, लेकिन बीच में अगर कहीं गड़बड़ी हो रही है तो इसे पकडऩे के लिए मेडिकल स्टोर से भी नमूने लेकर जांच की जानी चाहिए। ऐसा नहीं हो रहा है तो यह ड्रग इंस्पेक्टर की लापरवाही है।

डॉ. जीतेंद्र शर्मा अस्टिेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन मेडिकल कॉलेज शहडोल

ड्रग इंस्पेक्टर को दवाओं के नमूने लेने चाहिए। बाजार में जो कंटेट बताकर दवा दी जा रही है वही कंटेट दवा में है या नहीं इसकी समय-समय पर जांच जरूरी है। डीआई को मेडिकल स्टोर की जांच कर हर माह सीएमएचओ को रिपोर्ट सौंपनी चाहिए पर ऐसा हो नहीं रहा।

डॉ. मनीष सिंह अस्टिेंट प्रोफेसर सर्जरी विभाग शासकीय बिरसामुंडा चिकित्सा महाविद्यालय शहडोल

Created On :   19 July 2024 4:51 PM IST

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