2012 के बाद से नहीं आई राशि: दस साल से ठप पड़ा छतवई का हस्तशिल्प हाथकरघा केंद्र

दस साल से ठप पड़ा छतवई का हस्तशिल्प हाथकरघा केंद्र
  • कभी दो सौ कुशल श्रमिकों को मिलता था रोजगार
  • कॉलीन व लकड़ी की आकर्षक सामग्री बनाने में आदिवासी बैगा जनजाति के लोगों की संख्या ज्यादा।
  • छतवई में बनने वाली कालीन की डिमांड कभी देश-विदेश में रही है।

डिजिटल डेस्क,शहडोल। छतवई ग्राम स्थित हस्तशिल्प एवं हाथकरघा केंद्र दस साल से बंद पड़ा है। कभी दो सौ आदिवासी कुशल श्रमिकों के रोजगार का प्रमुख केंद्र रहे इस संस्थान के बंद हो जाने का सीधा नुकसान छतवई और आसपास गांव के कुशल श्रमिकों को हो रहा है।

संत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम लिमिटेड द्वारा 2012 से राशि का आबंटन धीरे-धीरे कम होता गया। अब छतवई के साथ ही आसपास गांव के लोगों की मांग है कि इस केंद्र को फिर से चालू करवाया जाए, जिससे लोगों को रोजगार मिल सके।

देश विदेश में रही है कालीन की डिमांड

छतवई में बनने वाली कालीन की डिमांड कभी देश-विदेश में रही है। विधानसभा भवन भोपाल में यहीं से तैयार कॉलीन बिछी है। यहां के कालीन की डिमांड कभी मलेशिया व अन्य देशों के साथ ही देश के बड़े महानगर जैसे चेन्नई, नोयडा व अन्य शहरों में रही है।

खास-खास

- छतवई, बरुका, निपनिया, पचड़ी व खमरिया सहित अन्य गांव के लोग इस काम से पूर्व में जुड़े।

- कुशल श्रमिकों की संख्या 130 रही, अन्य मिलाकर दो सौ लोगों को रोजगार।

- 1991 में केंद्र की शुरूआत हुई। कॉलीन व लकड़ी की आकर्षक सामग्री बनाने में आदिवासी बैगा जनजाति के लोगों की संख्या ज्यादा।

केंद्र को पुन: प्रारंभ करवाएंगे : कलेक्टर

शहडोल कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने बताया कि रविवार को छतवई जाकर केंद्र की स्थिति का जायजा लिया है। कर्मचारी से बात की है। इस केंद्र को जल्द चालू करवाएंगे। कालीन कुशल श्रमिकों के मजदूरी के लिहाज से मंहगी पड़ती है तो कोशिश करेंगे कि चादर व दूसरी ऐसी चीजें बनाई जाए जिसकी कीमत ज्यादा न पड़े और बाजार में डिमांड बनी रहे।

इसमें लकड़ी से बनी वस्तुओं के साथ ही अन्य सामग्री शामिल है। इनकी बिक्री के लिए शहर में अलग से स्थान की व्यवस्था भी की जाएगी।

Created On :   19 Aug 2024 8:26 AM GMT

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