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Seoni News: नगझर से सीलादेही बाइपास तक धूल ही धूल, उड़ रहे गुबार
- 109 करोड़ से बन रही फोरलेन सडक़ का मामला
- ताक पर रख दी सारे नियम-कायदे, हलाकान-परेशान हो रहे शहरवासी
- हवा में बारीक पत्थर के कण लोगों की सांसों के जरिए फेफड़े में जा रहे हैं।
Seoni News: धूल सेहत के लिए कितनी घातक है इसको जानते हुए भी जिला प्रशासन करोड़ों की फोरलेन के निर्माण कार्य से उड़ रही धूल को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है। पड़ोसी जिले जबलपुर में कलेक्टर ने धूल और पराली को लेकर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं और इधर सिवनी में जिला प्रशासन खानापूर्ति करने में जुटा है। लोगों का कहना है कि लग्झरी वाहन में चलने वाले अफसरों और नेताओं को धूल नजर नहीं आ रही है, जबकि नियमानुसार कोई भी निर्माण कार्य से उडऩे वाली धूल को रोकने के लिए प्राथमिक प्रबंध किया जाना आवश्यक है।
दोनों तरफ बुरे हालात
नागपुर बाइपास स्थित सीलादेही से जबलपुर बाइपास स्थित नगझर तक बन रही फोरलेन में सबसे बुरे हालात उस क्षेत्र में हैं, जहां पर सडक़ उखाडक़र ग्रेनुलर सब बेस (जीएसबी) का काम किया जा रहा है। नागपुर रोड स्थित जोड़ापुल के पास से लेकर सीलादेही तक तीन किमी और ज्यारतनाका के आगे स्थित पुलिया से लेकर नगझर तक छह किमी तक के सफर में लोग परेशान हैं।
सीलादेही से नगझर तक यदि कोई दो पहिया वाहन सवार गुजर रहा है तो उसके कपड़े धूल के कारण खराब होना तो तय है और धूल से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी अलग झेलना पड़ रही। सिवनी से बंडोल अपडाउन करने वाले मायाराम सनोडिय़ा, जितेंद्र बघेल का कहना है कि धूल के कारण तकलीफ होने लगी है। हवा में बारीक पत्थर के कण लोगों की सांसों के जरिए फेफड़े में जा रहे हैं।
नुकसानदायक है धूल
सडक़ से उड़ती धूल से कई प्रकार के नुकसान होते हैं। डॉक्टरों के अनुसार धूल के कणों से एलर्जी हो सकती है। इससे नाक बहना, छींक आना, आंखों में जलन, गले में खराश, खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ होती है। लंबे समय तक धूल के संपर्क मे रहने से क्रॉॅनिक सूजन और अस्थमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
निर्देश की खानापूर्ति
दैनिक भास्कर द्वारा लगातार फोरलेन सडक़ के निर्माण कार्य में चल रही मनमानी का मामला सामने लाए जाने को लेकर सोमवार को जिला प्रशासन थोड़ा हरकत में दिखा। कलेक्टर संस्कृति जैन ने एमपीआरडीसी के अधिकारियों को निर्माण कार्य के दौरान वाहनों के आवागमन के कारण धूल आदि उडऩे से यात्रियों को होने वाली परेशानी के निदान के लिए मार्ग में पानी के छिडक़ाव करने को कहा है। साथ ही साथ निर्माण कार्यों की गति बढ़ाते हुए प्रति सप्ताह प्रगति की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने की बात कही है।
सडक़ का लेबल तक बराबर नहीं
फोरलेन निर्माण में जिस जगह मुरम डालकर रोलर चलाया गया है वहां पर भी सडक़ का लेबल बराबर नहीं किया जा रहा है। भारी वाहनों के कारण सडक़ ऊंची-नीची हो गई है। ऐसे में छोटे वाहन चालक परेशान हैं। एमपीआरडीसी के जिम्मेदार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। मौके पर भी कोई जिम्मेदार नहीं रहता है। लोगों का कहना है कि ठेकदार और उनके कर्मचारियों की मनमानी के कारण सडक़ का मनमाना काम हो रहा है।
इससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या काफी दिनों से है। एमपीआरडीसी का कार्यालय भी छिंदवाड़ा में होने के कारण लोग शिकायत नहीं कर पा रहे हैं, वहीं एमपीआरडीसी के अफसर भी सिवनी आकर चल रहे मनमाने काम को देखने की जहमत नहीं उठा रहे हैं।
इनका कहना है
धूल से नुकसान होता है। यदि फोरलेन निर्माण के कारण धूल उड़ रही है तो इस संबंध में एमपीआरडीसी को पत्र लिखा जाएगा। धूल रोकने के लिए उचित कदम उठाने के लिए कहा जाएगा।
आलोक जैन, क्षेत्रीय अधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जबलपुर
Created On :   19 Nov 2024 6:13 PM IST