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Seoni News: लोगों को वन्यजीव प्रबंंधन से जोड़ें, पर्यटन गतिविधियां संचालित कराएं, भविष्य में वन्यजीव प्रबंधन को लेकर कार्यशाला में दिए सुझाव

- लोगों को वन्यजीव प्रबंंधन से जोड़ें
- पर्यटन गतिविधियां संचालित कराएं
- भविष्य में वन्यजीव प्रबंधन को लेकर कार्यशाला में दिए सुझाव
Seoni News: बढ़ती वन्यजीवों की संख्या और इंसानों पर हो रहे हमले को लेकर भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए पेंच टाइगर रिजर्व के खवासा में शुक्रवार से दो दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत हुई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने संरक्षित क्षेत्रों के आस-पास के जन समुदाय को वन्यजीव प्रबंधन में शामिल करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जन समुदाय के सहयोग से ईको पर्यटन गतिविधियों का संचालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संरक्षित क्षेत्रों में टाइगर की संख्या भी बढ़ी है। ऐसे में लोगों को जोड़ते हुए पर्यटक गतिविधियों का संचालन किया जाए। इससे वन्यजीव प्रबंध में मदद मिलेगी और लोगों को आजीविका मुहैया हो जाएगी। श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में बाघ एवं तेंदुओं की संख्या में वृद्धि के चलते वनों से लगे गांवों में इंसानों पर हमले की घटनाएं भी बढ़ी है। इस स्थिति से जनजागरण एवं अन्य उपाय से निपटा जा सकता है।
२५ सौ वर्ग किमी का होगा वनसंरक्षित क्षेत्र
मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक शुभरंजन सेन ने बताया कि भविष्य में प्रभावी वन्यजीव प्रबंधन के लिए अगले वित्तीय वर्ष से कोर एवं बफर क्षेत्र के लिए पृथक-पृथक बजट आवंटन किया जाएगा। आगामी सालों में 25 सौ वर्ग किमी का वनक्षेत्र संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाना प्रस्तावित है। इन संरक्षित क्षेत्रों के बाहर तथा क्षेत्रीय वन एवं वन्यजीव कॉरीडोर क्षेत्रों में वन्यजीव प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए विचार मंथन कर कारगर रणनीति बनाने की आवश्यकता है। प्रदेश के सेवानिवृत मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक एचएसपाबला ने मानव वन्यजीव सहजीवन पर अपनी बात रखी। डॉ. राजेश गोपाल ने कहा कि भविष्य में वन्यजीव प्रबंधन के लिए संरक्षित क्षेत्रों का सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन कर प्रबंधकीय तत्वों को प्राथमिकता देना होगा। डॉ सुहास कुमार ने संरक्षित क्षेत्रों के बाहर वन्यजीव प्रबंधन पर जोर दिया।
ये भी दिए सुझाव
बीएम एस राठौर ने जैविविधता संरक्षण के लिीए जनजागरण एवं वन्यजीव बाहुल्य भू-परिदृष्य को दृष्टिगत रखते हुए प्रभावी उपाय करने पर जोर दिया।डॉ. रमन सुकुमार ने अपने प्राकृतिक आवास से बाहर आकर जन समुदाय से टकराव का कारण बनने वाले हाथियों को लेकर बचाव के उपायों पर चर्चा की। डॉ. वायवी झाला ने वन्यजीव प्रबंधन की लेण्डस्केप थीम पर विस्तार से बताया गया। डॉ अनीस अंधेरिया ने बाघ, वन एवं समुदाय के सहअस्तित्व में उत्प्रेरक का काम करने वाली अवधारणा पर बल दिया। डॉ. क्लेमेंट बेन ने वन्यजीव संरक्षण में खासकर महाराष्ट्र में कम्यूनिटी रिजर्व (समुदाय आरक्ष) की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। गोकुल द्वारा वन्यजीव प्रबंध की हाथी प्रबंध थीम के बारे में बताया। वरिष्ठ वैज्ञानिक बिवास पांडव ने मध्य भारत में मानव-हांथी द्वंद में हुई मौतों का विश्लेषण करते हुए बचाव एवं सुरक्षा उपायों के बारे में बताया। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ के रमेश ने मध्यप्रदेश में भविष्य के वन्यजीव प्रबंधन में तकनीकी विकल्पों के बारे में बताया। कार्टूनिस्ट रोहित शुक्ला द्वारा बनाया गया अग्नि सुरक्षा संबंधी पोस्टर का विमोचन भी किया। यह पोस्टर डब्ल्यूडब्ल्यू एफ. इंडिया द्वारा पेंच प्रबंधन के सहयोग से जारी किया गया।
चार समूहों में बांटे ग्रुप
कांफ्रेन्स में आए अतिथियों, विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों को चार समूहों में बांटा गया है। इसमें भू-परिदृश्य प्रबंध,वन्यजीव आवास प्रबंध,मानव-वन्यजीव द्वंद और समुदाय संलग्नता समूह बना है। सभी समूह चारों विषयों पर गहन विचार-विमर्श करेंगे। विचार विमर्श से प्राप्त निष्कर्षों का भविष्य की वन्यजीव प्रबंध रणनीति के निर्माण में उपयोग किया जाएगा।
Created On :   8 March 2025 6:09 PM IST