- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- सतना
- /
- अंबेडकर जयंती पर सेंट्रल जेल से...
Satna News: अंबेडकर जयंती पर सेंट्रल जेल से लखपति बनकर रिहा हुए 3 बंदी

- अलग-अलग मामलों के 10 और बंदी भी छूटे
- शासन के नियमानुसार सजा भुगतने के लिए जेल लाए जाने पर सभी बंदियों को उनकी कार्यक्षमता के अनुसार काम सौंपा जाता है।
Satna News: भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर राज्य सरकार की तरफ से प्रदेश भर के जेलों में लंबे समय से सजा काट रहे बंदियों को अच्छे चाल-चलन के आधार पर समय से पहले रिहा करने का निर्णय लिया गया था। इसी कड़ी में सोमवार को सेंट्रल जेल सतना से 13 कैदियों को छोड़ा गया, जिनमें छतरपुर के 6, पन्ना के 2, सतना के 2, मैहर, छिंदवाड़ा और आगर मालवा के 1-1 कैदी शामिल हैं।
खास बात यह रही कि इनमें से 3 बंदी लखपति बनकर जेल से बाहर निकले हैं। जेल अधीक्षक लीना कोष्टा ने बताया कि आजाद होकर समाज की मुख्यधारा में लौट रहे बंदियों को श्रीफल, यथार्थ गीता, रिहाई प्रमाण पत्र, बंदी पारिश्रमिक पासबुक और लंच पैकेट प्रदान करते हुए भविष्य में सद्मार्ग पर चलकर परिवार की उन्नति के लिए काम करने की समझाइश दी गई।
ये हुए आजाद
रिहा होने वाले बंदियों में बिल्लू उर्फ देवीदयाल पुत्र परसराम यादव, गोरे उर्फ रामकरण पुत्र राजू यादव, अजय उर्फ अप्पू पुत्र सत्यनारायण यादव, जगदीश पुत्र किशोरी लाल पटेल, हरदयाल पुत्र खेतराम ढीमर, शिशुपाल उर्फ छुट्टेराजा पुत्र शंकर सिंह परमार निवासी छतरपुर, अरुण पुत्र श्यामलाल पटेल निवासी मैहर, मणिराज सिंह उर्फ बेटू पुत्र मोहन सिंह परिहार और समीर कांत सिंह पुत्र रामराज सिंह निवासी सतना, राकेश सिंह पुत्र राजेश सिंह निवासी छिंदवाड़ा, देवी सिंह पुत्र पूर सिंह निवासी आगर-मालवा, बल्देव पुत्र रामदास यादव और ज्ञानी पुत्र खतुआ ढीमर निवासी पन्ना, शामिल हैं।
काम के अनुसार पारिश्रमिक
शासन के नियमानुसार सजा भुगतने के लिए जेल लाए जाने पर सभी बंदियों को उनकी कार्यक्षमता के अनुसार काम सौंपा जाता है। इसी व्यवस्था के तहत जेल के अलग-अलग प्रकल्पों में काम के लिए लगाए गए छतरपुर जिले के छुलुवा पुरवा निवासी चचेरे भाई देवीदयाल यादव और रामकरण यादव के साथ अजय बाल्मीक एक लाख से अधिक का पारिश्रमिक लेकर घर गए हैं।
वहीं अरुण पटेल को 93 हजार 844, समीर कांत सिंह को 82 हजार 641, बल्देव यादव को 72 हजार 965, जगदीश पटेल को 38 हजार 321, हरदयाल ढीमर को 35 हजार 61 रुपए मणिराज सिंह को 31 हजार 563, ज्ञानी ढीमर को 27 हजार 720 और शिशुपाल सिंह को 14 हजार 4 रुपए का पारिश्रमिक प्राप्त हुआ है।
जेल में पछतावे के साथ परिश्रम कर जोड़ी रकम
जेल प्रशासन के मुताबिक रामकरण और देवीदयाल ने एक विवाद के दौरान परिवार के 7 अन्य लोगों के साथ मिलकर 22 अक्टूबर 2010 को गांव के ही तीन व्यक्तियों की हत्या कर दी थी। इस प्रकरण में गिरफ्तारी के बाद आरोपियों को जिला जेल छतरपुर में रहे, फिर उम्रकैद होने पर 16 अक्टूबर 2012 को सेंट्रल जेल सतना लाया गया।
बीते साढ़े 12 सालों में चचेरे भाइयों ने अपने किए पर पछतावा करने के साथ कारखाने समेत जेल के अलग-अलग प्रकल्पों में दिए गए काम को लगन और मेहनत के साथ पूरा किया, जिसके एवज में रिहाई के दिन देवीदयाल के खाते में 1 लाख 33 हजार 352 रुपए तो वहीं रामकरण के बैंक अकाउंट में 1 लाख 5 हजार 961 रुपए की राशि जमा थी।
तीसरे लखपति बंदी अजय उर्फ अप्पू बाल्मीक निवासी नौगांव, जिला छतरपुर, ने पैसों के लेनदेन की बात पर पिता से अभद्रता करने वाली पड़ोस की महिला की हत्या करने पर 14 साल 6 माह 27 दिन पहले गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, उसे 24 जून 2012 को आजीवन कारावास की सजा पड़ने पर सेंट्रल जेल से सतना लाया गया। रिहा होने से पहले तक जेल में दिए गए कार्यों को करते हुए उसने पारिश्रमिक के तौर पर बैंक अकाउंट में 1 लाख 8 हजार 542 रुपए जोड़ लिए।
Created On :   15 April 2025 12:49 PM IST