Satna News: सरभंगा के जंगल में 3 माह में 2 टाइग्रेस ने जन्मे 6 शावक

सरभंगा के जंगल में 3 माह में 2 टाइग्रेस ने जन्मे 6 शावक
  • इन 6 शावकों के जन्म के बाद सरभंगा सर्किल में बाघों की संख्या बढ़ कर 34 हो गई है।
  • खदान माफिया के दबाव में 9 साल तक पेंडिंग रहे इस प्रस्ताव को अंतत: खारिज कर दिया गया।
  • बाघों की वंशवृद्धि में इस बाघिन की अहम भूमिका मानी गई है।

Satna News: चित्रकूट उप वन मंडल के मझगवां रेंज की सरभंगा सर्किल से एक खुुशखबरी आई है। ट्रैप कैमरों के फुटेज के परीक्षण के बाद वन विभाग का दावा है कि सरभंगा वन क्षेत्र में नवंबर से जनवरी के दौरान 2 टाइग्रेस ने 6 शावकों को जन्म दिया। रेंजर पंकज दुबे ने बताया कि एक बाघिन ने 5 माह पहले पिपरीटोला और दूसरी बाघिन ने कररिया बीट में 3 माह पहले 3-3 शावक जन्मे। शावकों की निगरानी के लिए दोनों बीटों में 7-7 अतिरिक्त ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। 8-8 घंटे की शिफ्ट पर 5-5 सदस्यीय टीम तैनात की गई है।

खुले वनक्षेत्र में 34 बाघ

इन 6 शावकों के जन्म के बाद सरभंगा सर्किल में बाघों की संख्या बढ़ कर 34 हो गई है। इन नवजातों के अलावा मौजूदा समय में 25 टाइगर और 3 टाइग्रेस की मौजूदगी रिकार्ड में ली गई है। सभी बाघों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए कुल 40 वन प्रहरी लगाए गए हैं। नाइट विजन पर आधारित 16 आटोमैटिक ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। जबकि ऐसे ही 200 कैमरों की डिमांड की गई है। उल्लेखनीय है, टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश का यह इकलौता ऐसा खुला वन क्षेत्र है,जहां सर्वाधिक अनआईडेंटिफाइड टाइगर मौजूद हैं।

फिर भी मंजूर नहीं वाइल्ड लाइफ सेंचुरी

ब्रीडिंग सेंटर भी था प्रस्तावित

जानकारों का मानना है कि चित्रकूट उप वन मंडल के सरभंगा के जंगल बाघ जैसे हिंसक वन्य प्राणियों के प्रति पूरी तरह से अनुकूल हैं। शाकाहारी वन्य प्राणियों की बहुल्यता, कंदराओं के साथ जल संसाधनों की उपलब्धता के कारण यह वन क्षेत्र वन्य प्राणियों का प्राकृतिक रहवास है। यही वजह कि वर्ष 2016 में तबके डीएफओ आरबी शर्मा ने सरभंगा में टाइगर रिजर्व वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के साथ ब्रीडिंग सेंटर की स्थापना का प्रस्ताव वन मंत्रालय को भेजा था। आरोप है कि खदान माफिया के दबाव में 9 साल तक पेंडिंग रहे इस प्रस्ताव को अंतत: खारिज कर दिया गया।

13 वर्ष में ऐसे बढ़ा कुनबा

तकरीबन 13 वर्ष पहले पन्ना के टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क से सरभंगा पहुंची एक बाघिन पी-213(22) ने यहां स्थायी तौर पर डेरा डाल रखा है। वन अफसरों के मुताबिक 13 वर्ष के दौरान इस टाइग्रेस ने 6 बार में 18 शावक जन्मे। अब बूढ़ी हो चुकी इस बाघिन ने जून 2024 में अंतिम बार तीन शावकों को जन्म दिया था। बाघों की वंशवृद्धि में इस बाघिन की अहम भूमिका मानी गई है।

Created On :   7 April 2025 5:09 PM IST

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