सतना: ओवर हीटिंग से भडक़ रही है आग, ५० से भी ज्यादा अस्पताल, मगर सिर्फ एक प्रायवेट हास्पिटल के पास है फायर एनओसी...!

ओवर हीटिंग से भडक़ रही है आग, ५० से भी ज्यादा अस्पताल, मगर सिर्फ एक प्रायवेट हास्पिटल के पास है फायर एनओसी...!
  • ओवर हीटिंग से भडक़ रही है आग, ५० से भी ज्यादा अस्पताल
  • मगर सिर्फ एक प्रायवेट हास्पिटल के पास है फायर एनओसी...!
  • ९० फीसदी कमर्शियल भवनों का भी यही हाल

डिजिटल डेस्क, सतना। जिला मुख्यालय समेत सतना-मैहर जिले में यंू तो ५० से भी ज्यादा सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल हैं, मगर इनमें से यहां सिर्फ एक ही प्रायवेट हास्पिटल के पास फायर एनओसी है। जानकारों के मुताबिक ५० से कम बिस्तरों के नर्सिंग होम्स को इस मामले में सशर्त रियायत है। चालू गर्मी सीजन में पारा तकरीबन ४० के पार है और ऐसे में ओवर हीटिंग के कारण आग भडक़ने की घटनाएं बढ़ गई हैं। जानकारों का कहना है कि इन स्थितियों के बीच जिले के सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में अग्नि से बचाव के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। दोनों जिलों के ९० फीसदी कमर्शियल भवनों का भी यही हाल है। इनमें बड़े बड़े होटल,हाइराइज बिल्डिंग और शॉपिंग मॉल शामिल हैं।

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४ साल में सिर्फ ६ को मिली अनुमति :--

सूत्रों ने बताया कि जिला मुख्यालय में ४ साल के दौरान नगर निगम को विभिन्न प्रतिष्ठानों से फायर एनओसी के लिए लगभग १५० आवेदन मिले लेकिन इनमें से महज ६ प्रतिष्ठानों को ही फायर एनओसी मिल पाई। असल में १४४ आवेदन फायर एनओसी के लिए तय सरकारी मानदंड नहीं पूरा कर रहे थे। इन्हीं जानकारों ने बताया कि फायर एनओसी के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग

(टीएनसीपी) से लैंड यूज एनओसी आवश्यक होती है। कमशर्र््िायल भवन का आवासीय रुप में भी उपयोग, गुणवत्तापूर्ण अग्निशामक उपकरणों और कमशर्र््िायल भवन में ओएमएस (मिनिमम ओपन स्पेस) का नहीं होना जैसी स्थितियां फायर एनओसी की पात्रता को पूरा नहीं करती हैं।

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जिला अस्पताल के पास भी नहीं है फायर एनओसी:-----

जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के पास भी फायर एनओसी नहीं है। जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) एलके तिवारी ने माना कि कतिपय बाधाओं के कारण एनओसी नहीं मिल पा रही है लेकिन समय -समय पर जिला अस्पताल समेत जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में अग्नि से सुरक्षा के उपायों के संबंध में फिजिकल वेरीफिकेशन कराया जाता है। फायर सेफ्टी की दृष्टि से उपाय किए जाते हैं। मेडिकल कालेज से अटैच इस अस्पताल की मौजूदा ओपीडी प्रतिदिन १२०० से १५०० के बीच है। ४०० बेड क्षमता के जिला अस्पताल में मौजूदा समय में ५०० से भी ज्यादा मरीज भर्ती है।

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क्यों आई ये नौबत :------

बड़ा सवाल यह है कि आखिर जिले के सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल के पास फायर एनओसी क्यों नहीं है? जानकारों का कहना है कि जिला अस्पताल की स्थापना वर्ष १९५६ में की गई थी।

६८ वर्ष पुराने अस्पताल प्रबंधन के पास टीएनसीपी के लैंड यूज की एनओसी से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहंी हैं। भवन पुराना होने के कारण तकनीकी एवं व्यवहारिक तौर पर फायर सेफ्टी के

नाम्र्स का पालन संभव नहीं है। हालांकि ट्रामा और एसएनसीयू जैसे नए भवन निर्माणों में अग्नि से बचाव के उपाय किए गए हैं।

इनका कहना है-

ओवर हीटिंग के मद्देनजर नगर निगम क्षेत्र में आग से बचाव के उपायों का सतत निरीक्षण कराया जा रहा है। जहां - जहां कमियां पाई गई हैं, वहां अग्नि से सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित करने की हिदायत दी गई है।

शेर सिंह मीणा, निगमायुक्त

Created On :   27 May 2024 1:06 PM GMT

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