विश्व रेडियो दिवस: आधुनिकता के दौर में भी कम नहीं हुई रेडियो की उपयोगिता

आधुनिकता के दौर में भी कम नहीं हुई रेडियो की उपयोगिता
  • आधुनिकता के दौर में भी कम नहीं हुई रेडियो की उपयोगिता
  • गांव की पहचान और यहां के मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन रहा रेडियो

डिजिटल डेस्क, मोहन्द्रा नि.प्र.। गुजरे जमाने में गांव की पहचान और यहां के मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन रहा रेडियो आधुनिकता की धुंध के आगे अब भले ही कम दिखाई दे रहा हो पर अभी भी रेडियो सूचनाओं और मनोरंजन के मामले में टीवी से बढकर है। युवाओं के बीच पहचान बनाये रखने भले रेडियो को जद्दोजहद करनी पड रही हो पर मोबाइल एप के माध्यम से रेडियो सुनते कई युवा विशेषकर शिक्षा विभाग से जुड़े कर्मचारी मिल जायेंगे। एक समय था जब गांव की शादी में दूल्हे को सामग्री के साथ रेडियो भी देने का चलन था। शादी में मिले रेडियो को वर पक्ष पडोसियों को जितने गर्व से दिखाते थे उतने ही चाव से चबूतरे, चौपालों में इसे सुना भी जाता था। बुंदेलखंड में रेडियो की लोकप्रियता को बढाने छतरपुर को रेडियो स्टेशन बनाया गया।

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मीडियम बैंड में आकाशवाणी छतरपुर द्वारा प्रसारित कार्यक्रम जिसमें बच्चों, बुजुर्गों, किसानों, युवाओं, विधार्थियों व महिलाओं के लिये हर क्षेत्र की समाहित जानकारी जनता के बीच अब भी काफी लोकप्रिय है। सुबह 06 बजे से भक्ति पाठ, रामचरित मानस, कृषि चर्चा, चिंतन, प्रादेशिक समाचार, राष्ट्रीय समाचार, बुंदेली सुगंध, आठ बजे समाचार सुप्रभात, दस बजे मध्य प्रदेश के किसी एक जिले की चि_ी, गूंजे गांव चौपाल, दोपहर 1 बजे नारी जगत, शाम पांच बजे बेहद ज्ञानवर्धक युववाणी, सुपर संडे को हैलो फरमाईस जैसे अनगिनत प्रोग्राम न सिर्फ विचारों में नवाचार पैदा करते है बल्कि ब्यक्तित्व विकास भी करते है।

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Created On :   13 Feb 2024 12:09 PM GMT

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