सावन में इस तरह करें शिव के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा, वैवाहिक जीवन में आएंगी खुशियां
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सावन का महिना चल रहा है। इस महिने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। भगवान भोलेनाथ के कई स्वरूप होते हैं। जिनका उल्लेख शिव पुराण में किया गया है। इन्हीं में से एक स्वरूप अर्धनारीश्वर को भी माना गया है। सावन के महिने में महादेव के अर्धनारीश्वर रूप के पूजन करने से आप को अखंड सौभाग्य की प्राप्ती होती हैं। भगवान भोलेनाथ के इस स्वरूप की पूजा करने से आप को संतान सुख मिलता है और विवाह की बाधाएं दूर होती है। भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर अवतार में शिव का आधा शरीर स्त्री और आधा शरीर पुरुष का होता है। पर क्या आप सभी को पता है, कि आखिर क्यों शिव को अर्धनारीश्वर रूप धारण करना पड़ा। अगर नहीं, तो आज हम आप को बताते हैं, कि आखिर क्यों शिव जी ने धारण किया ये रुप और कैसे करें शिव जी के इस रूप की पूजा
शिव के अर्धनीरीश्वर रूप की पूजा विधि
सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करें।
अर्धनारीश्वर रूप का ध्यान कर के भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा कर।
शिवलिंग पर बेलपत्र,चंदन, धतूरा और अक्षत चढ़ाएं,इसी के साथ माता पार्वती को सोलल श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
भगवान भोलेनाथ खीर बहुत पसंद है, इसी लिए आप भोलेनाथ को खीर का भोग लगाएं।
भगवान भोलेनाथ के अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा करते समय ‘ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नमरू मंत्र का 11 हार जाप करना बहुत शुभ होता है।
सावन सोमवार की पूजा में अर्धनारीश्वर स्तोत्र का पाठ करने से पति-पत्नी के रिश्तों से तनाव खतम हो जाता हैं।
भगवान भोलेनाथ के अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा के बाद परिवार सहित भोलेनाथ की आरती करें और फिर प्रसाद बांट दें।
शिव ने क्यों लिया अर्धनारीश्वर रूप?
भगवान भोले नाथ का अर्धनारीश्वर रूप पुरुष और स्त्री की समानता का प्रतीक माना जाता है। स्त्री और पुरुष का जीवन एक दूसरे के बिना अधूरा है। शिव पुराण के मुताबिक भोलेनाथ का यह स्वरूप संसार के विकास की निशानी है। पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि के निर्माण की जिम्मेदारी ब्रह्मा जी की थी। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का काम शुरु किया, तब वे बहुत परेशान थे की इसका विकास कैसे होगा। बहुत सोचने के बाद जब कोई समाधान नहीं निकला तो ब्रह्मा जी शिव जी के पास गए। सृष्टि के सृजन के लिए ब्रह्मा जी ने शिव जी तपस्या शुरू कर दी। जिसके बाद ब्रह्मा जी के तपस्या से खुश होकर भोलेनाथ अर्धनारीश्वर स्वरूप में प्रकट हुए। शिव के आधे हिस्से में पुरुष और बाकी के भाग में स्त्री थी। जिसके बाद महादेव ने ब्रह्मा जी को बताया कि आप को सृष्टि की रचना करने के लिए स्त्री और पुरुष दोनों की रचना करनी है। जो प्रजनन के जरिए सृष्टि को आगे बढ़ा सके। इस प्रकार शिव से शक्ति अलग हुईं और फिर शक्ति ने अपने रूप से एक अन्य नारी की रचना की।
डिसक्लेमरः ये जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर बताई गई है। भास्कर हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।
Created On :   25 July 2022 12:05 PM IST