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वापस आया बैलगाड़ी युग, सजी दूल्हे की बारात, बनी आकर्षण का केन्द्र
डिजिटल डेस्क, सिवनी। इस आईटी युग में जब लोग अपने विवाह को यादगार बनाने के लिए आकाश पाताल तक में आयोजन करने की होड़ में लगे हुए हैं, तब उन्नीसवीं सदी के वाहन बैलगाड़ी पर बारात निकालना किसी कमाल से कम नहीं है। यह कमाल कर दिखाया है ग्राम छपारा के रहने वाले जागेश्वर सोनवाने ने उन्होंने न केवल बैलगाड़ी जिसे स्थानीय भाषा में खाचर कहते हैं पर अपने बेटे की बारात निकाली परम्परागत वाद्य यंत्र ढपली आदि का भी उपयोग किया। उनके इस प्रयास का सभी लोगों ने जमकर प्रशंसा की और जहां से भी यह बाारात निकली देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी।
उमड़ा जन सैलाब
आजकल दूल्हे की बारात फोर व्हीलर वाहनों के माध्यम से पहुंचती है, जहां दूल्हा फोर व्हीलर में बैठकर अपनी दुल्हन को लेने जाता है। आज यहां लोगों को एक ऐसी बारात देखने को मिली जिसमें दूल्हे के पिता द्वारा पुरानी परंपरा के अनुसार किसानों के घरों में उपयोग में लाने वाली खाचर में बैलों को सजा कर दूल्हे का रथ तैयार किया गया। इसी खाचर पर बैठकर दूल्हा अपनी दुल्हन लेने के लिए ससुराल पहुंचा। बारात को देखने के लिए भारी तादाद में क्षेत्रीय लोग एकत्रित हुए एवं जगह-जगह पर दूल्हे के पिता द्वारा उठाए गए कदम की सराहना करते हुए बारात का स्वागत किया गया।
इस अवसर पर क्षेत्र के दौरे में निकले क्षेत्रीय विधायक अर्जुन सिंह काकोरिया द्वारा भी बारात का स्वागत किया गया एवं उन्हें और इस परंपरा के लिए बधाई दी गई। पुराने समय में दूर के सफर में इसी रहका एवं खाचर का उपयोग बारात लगाने में करते थे। किंतु समय के बदलाव के साथ यह रीति क्षेत्र में विलुप्त सी हो गई थी। ग्राम छपारा के रहने वाले जागेश्वर सोनवाने के द्वारा अपने पुत्र की बारात पुरानी परंपरा के अनुसार लगाई।
क्या कहते हैं दूल्हे के पिता
इस संबंध में दूल्हे के पिता का कहना था कि उन्हें पुरानी परम्पराओं से काफी प्यार है और वे चाहते थे कि समय कितना भी आगे बढ़ जाए किंतु अपनी परम्पराओं को नहीं भुलाना चाहिए। इसी कड़ी में उन्होंने समय आने पर इस बात पर खुद अमल करके दिखाया। उन्हें खुशी है कि लोगों ने उनके प्रयास को काफी सराहा है।
Created On :   2 April 2019 5:23 PM IST