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मशाल के निशान पर ही औरंगाबाद में शिवसेना को दिया था पहला सांसद
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डिजिटल डेस्क, औरंगाबाद. राज्य में सत्ता हस्तांतरण के बाद असली शिवसेना कौन है, का विवाद सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग तक जा चुका है। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के दावों पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग ने हाल ही में शिवसेना के नाम के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए चुनाव चिन्ह को भी अस्थायी रूप से फ्रीज कर दिया है। चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे नाम और मशाल चिन्ह दिया गया है। यह बात और है कि धनुष-बाण के बाद आज प्राप्त मशाल बहुत पहले शिवसेना का ही प्रतीक हुआ करती थी। औरंगाबाद में इसी मशाल ने 1989 में शिवसेना को पहला सांसद मोरेश्वर सावे के रूप में चुनकर दिया था। शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने मराठवाड़ा सांस्कृतिक बोर्ड पर हुई ऐतिहासिक सभा में मशाल के निशान पर ही वोट मांगा था।
इस चुनाव चिह्न ने लोकसभा में शिवसेना की जीत के दरवाजे खोल दिए थे। इस मौके पर याद किया जा रहा है कि शिवसेना की जीत की मशाल एेसी जगी कि 1998 के अपवाद को छोड़कर 2019 तक शिवसेना का भगवा हमेशा औरंगाबाद लोकसभा पर फहराता रहा। १९९६ में धनुष-बाण चिन्ह पर भी शिवसेना को प्रदीप जायसवाल के रूप में जीत मिली। इस तरह भले ही शिवसेना धनुष-बाण चिन्ह पर सर्वाधिक लंबे समय तक लड़ती रही हो, लेकिन औरंगाबाद के लिए मशाल चिन्ह नया नहीं है।
Created On :   11 Oct 2022 4:47 PM IST