चित्रकूट की नगर परिषद ने बुल्डोज करा दी 50 वर्ष पुराने आवासीय भवन की दीवार

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
सतना चित्रकूट की नगर परिषद ने बुल्डोज करा दी 50 वर्ष पुराने आवासीय भवन की दीवार

डिजिटल डेस्क,सतना। पिटीशनर के खिलाफ कोअर्सिव एक्शन नहीं लेने के एमपी हाईकोर्ट के स्टे आर्डर के बाद भी चित्रकूट की नगर परिषद के सूरमाओं ने डंके की चोट पर पोकलेन लगा कर वार्ड नंबर-2 में कामता स्थित 50 वर्ष पुराने आवासीय भवन की दीवार ध्वस्त कर दी। यह पुराना आवास हरिओम मिश्रा पिता श्रीधर मिश्रा का है। नगर परिषद ने सरकारी जमीन में कब्जा कर अवैध निर्माण करने के आरोप लगाते हुए बेदखली का नोटिस दिया था। नोटिस के खिलाफ फरियादी हरिओम मिश्रा हाईकोर्ट की शरण में गए तो नगर परिषद के उपाध्यक्ष आशीष शर्मा लक्खू, सीएमओ पूजा द्विवेदी और अतिक्रमण अधिकारी प्रभात सिंह को ताव आ गया। 

एसडीएम-एसीडीओपी भी पहुंचे 

आरोप है कि गुरुवार को जैसे ही हरिओम के पक्ष में हाईकोर्ट से स्टे आर्डर मिलने की भनक लगी दोपहर 12 बजे के करीब उपाध्यक्ष आशीष शर्मा और अतिक्रमण अधिकारी प्रभात सिंह के नेतृत्व में नगर परिषद के लाव लश्कर ने कामता स्थित हरिओम के रिहायशी घर पर चढ़ाई कर दी। एक पोकलेन मशीन के साथ आननफानन में मलबा रफा-दफा करने के लिए ट्रैक्टर ट्राली और डग्गा भी साथ था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पीछे से एसडीएम पीएस त्रिपाठी, एसडीओपी आशीष जैन, सीएमओ पूजा द्विवेदी, नगर परिषद की अध्यक्ष साधना पटेल, तहसीलदार नितिन झोड़, नायब तहसीलदार सुमित गुर्जर और अंडर ट्रांसफर पटवारी आशीष सिंह समेत टीआई सुधांशु तिवारी के साथ भारी पुलिस बल भी पहुंच गया।

डेढ़ घंटे चली तोडफ़ोड़ 

मौके पर मौजूद गृहस्वामी हरिओम मिश्रा ने एक-एक कर सभी को हाईकोर्ट के स्टे आर्डर की प्रतियां उपलब्ध कराईं। सभी ने आदेश भी पढ़े, लेकिन आरोप है कि भाजपा के नवोदित नेता और नगर परिषद के उपाध्यक्ष आशीष शर्मा लक्खू की जिद के आगे अंतत: कोअर्सिव एक्शन (पिटीशनर के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कठोर कार्रवाई) नहीं लेने की एमपी हाईकोर्ट की हिदायत भी बेअसर हो गई। देखते ही देखते 50 वर्ष पुराने आवासीय भवन की दीवार ध्वस्त कर दी गई। गृहस्वामी के मुताबिक सरकारी अमले में स्र्ट आर्डर के खिलाफ गुस्सा इस कदर था कि जाते-जाते अमला पूरा घर गिरा देने की धमकी देकर चला गया। तोडफ़ोड़ तकरीबन डेढ़ घंटे चली। बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर, इस मामले में ऐसे भी क्या जल्दी थी, स्थानीय प्रशासन पर ऐसा कौन सा दबाव और प्रभाव था कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश की भी चिंता नहीं की गई स्थगन की जानकारी के बाद भी ध्वस्त कर दिया निर्माण, गंभीर हैं आरोप, आदेश लेने से इंकार  

सुनवाई का भी नहीं दिया अवसर

हाईकोर्ट ने हरिओम मिश्रा की पिटीशन इस आधार पर निराकृत की है कि याचिकाकर्ता सीएमओ को 15 दिवस के अंदर दस्तावेज उपलब्ध कराए। सीएमओ मौके का मुआयना कर दस्तावेजों का परीक्षण करें, अतिक्रमण पाए जाने पर कम्पाउंडिंग की कार्यवाही करें। यदि ऐसा संभव न हो तो 7 दिन का अवसर देते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करें। मगर, इस मामले में हद तो तब पार हो गई जब सीएमओ समेत मौके पर मौजूद अधिकारियों ने हाईकोर्ट का आदेश लेने से इंकार कर दिया। सुनवाई का अवसर ही नहीं दिया। इस मामले में उच्च न्यायालय द्वारा 2 माह तक याचिकाकर्ता के विरुद्ध विपरीत कार्रवाई नहीं किए जाने का आदेश पारित किए जाने के बाद भी जिद पर अड़ी अफसरशाही ने अंतत: आवासीय भवन की दीवार बुल्डोज कर दी।

फर्जी मुकदमे में फंसाने का डर, जान को भी खतरा 

गृहस्वामी और फरियादी हरिओम मिश्रा ने कहा कि नगर परिषद के जिस उपाध्यक्ष आशीष शर्मा के इशारे पर प्रशासन ने उच्च न्यायालय के आदेश को मानने से इंकार कर दिया उसके आपराधिक रिकार्ड की जांच होनी चाहिए। श्री मिश्रा के मुताबिक उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दी गई है। उन्हें और उनके परिवार की जान को खतरा है। वह चित्रकूट के बहुचर्चित अशोक पांडेय हत्याकांड के चश्मदीद गवाह हैं। रंजिश की यही वजह है। इससे पहले हरिओम पर तीन बार जानलेवा हमले हो चुके हैं। ढाई साल पहले उन्हें मिली पुलिस सुरक्षा भी आरोपियों के दबाव में हटा ली गई है।
 

Created On :   21 Oct 2022 1:30 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story