Satna News: विस्थापन का डर दिखा कर आदिवासियों को भ्रमित कर रहा है खनिज माफिया

विस्थापन का डर दिखा कर आदिवासियों को भ्रमित कर रहा है खनिज माफिया
  • सरभंगा को चाहिए अभयारण्य: मुख्यमंत्री के नाम ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा गया ज्ञापन
  • वाइल्ड लाइफ टाइगर रिजर्व सेंचुरी के प्रस्ताव पर पुनर्विचार की मांग
  • मौजूदा समय में 34 बाघ होने के कारण यह वन क्षेत्र प्रदेश का इकलौता ऐसा ओपन फारेस्ट है।

Satna News: चित्रकूट उप वन मंडल के मझगवां रेंज की सरभंगा सर्किल में टाइगर रिजर्व वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और पैंथर का ब्रीडिंग सेंटर स्थापित करने की मांग अब जन आंदोलन का रूप लेती जा रही है। इसी मांग को लेकर सोमवार को कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेश सचिव आशुतोष द्विवेदी एवं रोहित पांडेय (सेलौरा) के नेतृत्व में मझगवां क्षेत्र के ग्रामीणों के एक प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर डा.सतीश कुमार एस को मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने नाम पर ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में आरोप हैं कि बाघ संरक्षित अभयारण्य की सभी पात्रताएं होने के बाद भी खनिज माफिया के दबाव में वन मंत्रालय ने 9 वर्ष पुराने सतना वन मंडल के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। प्रस्ताव को स्वीकृत करने की मांग की गई है। इसी दौरान चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस नेता आशुतोष ने कहा कि खनिज माफिया के कारिंदे विस्थापन का झूठा भय दिखा कर भोले-भाले आदिवासियों एवं क्षेत्रीय ग्रामीणों को भ्रमित कर रहे हैं।

जमीनी हकीकत यह है कि विस्थापन का विषय खनिज और वन माफिया को उपकृत करने के लिए पैदा की गई एक काल्पनिक समस्या है। उन्होंने व्यापक जनहित और जन भावनाओं के मद्देनजर सांसद एवं क्षेत्रीय विधायक से भी इस संबंध में शासन स्तर पर भरपूर पैरवी करने का आग्रह किया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि खनिज चोरों को सिर्फ अपना स्वार्थ दिखाई पड़ रहा है। जबकि जरूरत वन, वन्य प्राणियों और क्षेत्रीय हितों को संरक्षित करने की है।

तथ्यों की अनदेखी,सतना का दुर्भाग्य

वरिष्ठ समाजसेवी रमेश मिश्रा (अमिरती) ने कहा कि मझगवां रेंज की सरभंगा सर्किल में टाइगर रिजर्व वाइल्ड लाइफ सेंचुरी स्थापित करने की सभी पात्रताएं हैं। इस तथ्य को सतना वन मंडल के साथ वाइल्ड लाइफ के अधिकारी भी स्वीकार कर चुके हैं। मगर, तथ्यों की इस हद तक अनदेखी सतना जिले का बड़ा दुर्भाग्य है। उन्होंने कहा वन विभाग का रिकार्ड इस बात का गवाह है कि पिछले डेढ़ दशक से 30 से 35 बाघों का मूवमेंट है।

मध्य प्रदेश को देश में टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में चित्रकूट उप वन मंडल के मझगवां रेंज की सरभंगा सर्किल का अहम योगदान है। यह वन क्षेत्र बाघों का नेचुरल कॉरिडोर और प्राकृतिक रहवास है। श्री मिश्रा ने कहा कि पानी, भोजन और आवास के पूर्णतया अनुकूल होने के कारण ही वर्ष 2016 में तबके डीएफओ आरबी शर्मा ने सेंचुरी का प्रस्ताव भेजा था। वर्ष 2022 में वाइल्ड लाइफ की टीम ने सर्वे कर प्रस्ताव पर सहमति भी दी थी।

मौजूदा समय में 34 बाघ होने के कारण यह वन क्षेत्र प्रदेश का इकलौता ऐसा ओपन फारेस्ट है।

बहुत हो चुकी उपेक्षा, अब और नहीं

सरभंगा को चाहिए अभयारण्य अभियान में शामिल युवा नेता रोहित पांडेय (सेलौरा) का कहना है कि जब प्रदेश की भाजपा सरकार पौराणिक एवं धार्मिक महत्व के स्थलों को सहेजने और संरक्षित करने की काम करती है तो फिर भगवान श्रीराम के पावन तपोधाम से जुड़े सरंभगा के वन क्षेत्र के संरक्षण, संवद्र्धन एवं बहुमुखी विकास के सवाल पर अभयारण्य की मांग को खारिज कर क्षेत्र की घोर उपेक्षा क्यों की जा रही है?

उन्होंने कहा कि यदि वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बन गई तो इससे न केवल बाघों का संरक्षण होगा बल्कि धार्मिक पर्यटन के विकसित होने से स्थानीय युवाओं बल्कि आदिवासी परिवारों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। अंधाधुंध अवैध उत्खनन बंद हो जाने से पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा। श्री पांडेय ने कहा कि क्षेत्र की जागरुक जनता अब और उपेक्षा सहने की स्थिति में नहीं है।

प्रतिनिधि मंडल में अंकित शुक्ला, बडख़ेरा के प्रकाश शर्मा , विक्रांत शर्मा, कैलाश सिंह बुंदेला, सचिन भारती, दादू शुक्ला, रामचंद्र शुक्ला, मुन्ना कोल, सोहन साकेत, जयराम कोल, सूर्यभान गोंड, प्रकाश मवासी, सूरज कोल, रामजी गोंड, मनोज त्रिपाठी, ज्ञानचंद्र त्रिपाठी एवं धनराज सिंह शामिल थे।

Created On :   29 April 2025 1:56 PM IST

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