पासपोर्ट अधिकारी के मानकों पर खरा नहीं उतरा कलेक्टर द्वारा चिन्हित भवन

डिजिटल डेस्क,शहडोल। विदेश मंत्रालय से शहडोल संभाग के लिए 2018 में स्वीकृत पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) के लिए 4 साल से ज्यादा समय से चल रहे इंतजार के बाद कलेक्टर द्वारा चिन्हित कमरा एक बार फिर अमानक करार दे दिया गया है। खासबात यह है कि अस्टिेंट पासपोर्ट ऑफीसर एस बहरानी धरण कलेक्टर द्वारा स्वीकृत भवन का निरीक्षण करने के लिए 2 मार्च को आए तो उस समय उन्होंने कमरा को लेकर कुछ भी नहीं कहा। 38 दिन बाद 11 अप्रैल को अधीक्षक पोस्ट ऑफिस को दूसरा स्थान ढूंढक़र जानकारी देने की बात कही। इधर, कलेक्टर ने कहा कि कमरा ठीक नहीं लगा तो 2 मार्च को ही वे बता देते, हम दूसरा दिखाकर पत्र भी दे देते।
कलेक्टर ने अब अस्टिेंट पासपोर्ट अधिकारी से फोन पर बात कर समस्या का समाधान करने की बात कही। बतादें कि अधिकारियों के कामचलाउ रवैये के कारण शहडोल में 4 साल बाद भी पीओपीएसके सुविधा प्रारंभ नहीं हो सकी। 2018 में स्वीकृति के दौरान तत्कॉलीन डाकघर अधीक्षक ने यह कहकर पत्र लौटा दिया था कि शहडोल में पीओपीएसके के लिए 3 सौ वर्गफिट का कमरा नहीं है। शहडोल में सुविधा प्रारंभ नहीं होने का सीधा नुकसान आदिवासी अंचल के लोगों को हो रहा है। पासपोर्ट बनवाने के लिए दूसरे शहरों की दौड़ लगाते परेशान होते हैं।
स्थानीय निर्वाचन के भवन में खुल सकता है कार्यालय
2 मार्च को कलेक्टर द्वारा चिन्हित भवन का निरीक्षण करने आए अस्टिटेंट पासपोर्ट अधिकारी ने चिन्हित कमरे में सुविधाघर व अन्य परेशानियां बताई थी। ऐसे में सामने स्थानीय निर्वाचन कार्यालय के खाली पड़े भवन को पासपोर्ट कार्यालय के लिए दिया जा सकता है। कलेक्टर ने भी इस पर विचार करने की बात कही है।
पासपोर्ट के लिए भोपाल की दौड़ लगाते परेशान युवा
अनूपपुर जिले के सत्येंद्र पटेल, शैलेंद्र पटेल, प्रदीप व त्रिभुवन ने बताया कि पासपोर्ट के लिए भोपाल की दौड़ लगाते परेशान हैं। यह सुविधा शहडोल में मिलती तो लोगों के पैसे और समय दोनों की बचत होती।
- अस्टिेंट पासपोर्ट अधिकारी 2 मार्च को ही बता देते कि उन्हे चिन्हित कमरा पसंद नहीं है तो हम दूसरा दिखा देते। अब फोन पर बात करते हैं। जल्द ही दूसरे कमरे का पत्र भेजते हैं।
वंदना वैद्य कलेक्टर
Created On :   12 April 2023 3:41 PM IST