भंडारे के साथ आकृति ग्रीन्स के पास स्थित माता मंदिर की श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन

Shrimad Bhagwat Katha of Mata Mandir near Aakriti Greens ends with Bhandare
भंडारे के साथ आकृति ग्रीन्स के पास स्थित माता मंदिर की श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन
भोपाल भंडारे के साथ आकृति ग्रीन्स के पास स्थित माता मंदिर की श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। माता मंदिर के पास सलैया, मिसरोद में संगीतमय परम पुनीत श्रीमद् भागवत कथा का भव्य समापन हुआ। इस मौके पर प्रताप सिंह यादव ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा को लेकर क्षेत्र में गजब का उत्साह देखा गया। सात दिवस में कोलार, सलैया और मिसरोद क्षेत्र के लगभग 2 लाख से भी ज्यादा श्रृद्धालुओं ने भक्ति रस का बड़ी ही श्रृद्धा के साथ पान करते हुए ईश्वर से सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। शनिवार को कथा के अंतिम दिन भोपाल की महापौर मालती राय भी पहुंची और धर्म लाभ लिया। दिनेश सिंह आकृति ग्रीन अध्यक्ष और कार्यक्रम के संरक्षक और आचार्य श्री जितेंद्र महाराज ने बताया कि सातवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। माँ देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर माँ देवकी को वापस देना, सुभद्रा हरण का व्याख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा का रस तत्व बताया। 

आपको बता दें कि, आकृति ग्रीन्स के पास स्थित माता मंदिर के पास सलैया, मिसरोद में श्रीमद् भागवत कथा 8 जनवरी से 14 जनवरी तक चल रही थी। श्रीमद् भागवत कथा को लेकर बीते कई दिनों से तैयारियां की जा रही थीं। बता दें कि, इस कार्यक्रम में दो लाख से ज्यादा लोग भागवत कथा धर्म लाभ लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 

कार्यक्रम के संरक्षक और आचार्य जितेंद्र महाराज ने बताया कि विश्व में सभी कथाओं में ये श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है, वो तीर्थ स्थल कहलाता है। इसको सुनने एवं आयोजन कराने का सौभाग्य भी प्रभु प्रेमियों को ही मिलता है। ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है, तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है। इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। अगर कोई सात तक किसी व्यस्तता के कारण नहीं सुन सकता है, तो वह दो तीन या चार दिन ही इसे सुनने के लिए अपना समय अवश्य निकाले तब भी वो इसका फल प्राप्त करता है, क्योंकि ये कथा भगवान श्री कृष्ण के मुख की वाणी है, जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध का प्रसंग का उल्लेख होने के साथ-साथ इसकी व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है। 

Created On :   16 Jan 2023 6:24 PM IST

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