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बीएमएचआरसी को एम्स में विलय की प्रक्रिया कहां तक पहुंची, हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से 6 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) को एम्स में विलय करने की प्रक्रिया कहां तक पहुंची। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने केन्द्र सरकार को 6 सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
बीएमएचआरसी में गैस पीडि़तों के इलाज के लिए पर्याप्त विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि बीएमएचआरसी में गैस पीडि़तों के इलाज के लिए पर्याप्त विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। अस्पताल में टैक्नीशियन और पैरा मेडिकल स्टाफ का भी अभाव है। इसकी वजह से पीडि़तों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। गुरुवार को केन्द्र सरकार की ओर से बीएमएचआरसी में नियुक्तियों का ब्यौरा पेश कर बताया गया कि कुछ पदों पर नियुक्तियां कर दी गई है, कुछ पदों के लिए उम्मीदवार नहीं मिल पाने के कारण खाली है। वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और अधिवक्ता राजेश चंद ने तर्क दिया कि बीएमएचआरसी में पर्याप्त चिकित्सक और स्टाफ नहीं होने से पीडि़तों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। वहीं बीएमएचआरसी के एम्स में विलय की प्रक्रिया भी आगे नहीं बढ़ पाई है। सरकार बीएमएचआरसी को एम्स में विलय करने पर जानबूझकर लापरवाही कर रही है। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि बीएमएचआरसी को एम्स में विलय करने की प्रक्रिया कहां तक पहुंची। मामले की सुनवाई 6 सप्ताह बाद नियत की गई है।
एक निरीक्षक की पोस्टिंग
पुलिस मुख्यालय भोपाल के एक तबादला आदेश के मुताबिक जिले में पदस्थ 2 इंस्पेक्टर और 6 सब इंस्पेक्टर जहां सतना जिले से बाहर भेज दिए गए हैं,वहीं बदले में जिले में महज एक इंस्पेक्टर को पोस्टिंग दी गई है। एक आधिकारिक ब्यौरे के मुताबिक नागौद के थाना प्रभारी अजय सिंह पवार को तबादले पर ग्वालियर भेजा गया है। इसी तरह यहां पुलिस लाइन में पदस्थ रहे एक अन्य इंस्पेक्टर अरुण सोनी को भोपाल में ईओडब्ल्यू से जुड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
Created On :   6 July 2019 9:12 AM GMT