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Jabalpur News: नियम में जरूरी है बिजली के तारों की गार्डिंग, अनदेखी से हादसों का जोखिम

- सिर्फ 25% में ही हुआ काम, कागजों में दर्ज है पूरा काम
- वर्तमान में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में केवल 25 प्रतिशत लाइनों में ही गार्डिंग हैं।
- मांग की गई है कि बिजली कंपनियों के प्रबंधन को इस मामले की जांच करानी चाहिए।
Jabalpur News: 11 एवं 33 केवी की बिजली सप्लाई के लिए एक पोल से दूसरे पोल तक खींचे गए तीन फेज तारों के नीचे झूलानुमा दो तार खींचे जाते हैं, जिन्हें गार्डिंग कहा जाता है। जब कभी लाइन का कोई तार टूटता है तो वो गार्डिंग के तारों पर गिरता है या टकराता है, जिससे लाइन में शाॅर्ट सर्किट होता है और सब-स्टेशन से विद्युत सप्लाई बंद हो जाती है, जिससे करंट फैलने का खतरा नहीं होता।
गार्डिंग न होने से लोगों एवं पशुओं के जीवन पर खतरा बना रहता है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व पाटन में बिजली के खुले तारों की जद में आने के बाद दो मासूमों की मौत हो गई थी, जिसको आसानी से टाला जा सकता था, यदि वहां बिजली के तारों पर गार्डिंग की जाती। लेकिन अफसोस नियम में जरूरी होने के बाद भी अफसरों और ठेकेदारों ने गार्डिंग की अनदेखी की और पाटन के हादसे की आशंका को बढ़ा दिया।
75 फीसदी तार बिना गार्डिंग के
जानकारी के अनुसार वर्तमान में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में केवल 25 प्रतिशत लाइनों में ही गार्डिंग हैं। शेष 75 प्रतिशत लाइनों के नीचे जानलेवा हादसों की आशंका बनी हुई है। मांग की गई है कि बिजली कंपनियों के प्रबंधन को इस मामले की जांच करानी चाहिए।
संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव के अनुसार नियमित रूप से लाइनों का मेंटेनेंस, सब-स्टेशनों का सुधार कार्य न होने से हादसे होते हैं और कंपनियां बिना जांच के ही सारा दोष आउटसोर्स कर्मचारियों पर मढ़ देती हैं, जो अनुचित है। कर्मचारी संघ ने अधिकारियों और ठेकेदारों पर मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाते हुए बिजली के तारों में शत-प्रतिशत गार्डिंग की मांग उठाई है।
गार्डिंग का काम केवल सड़क की क्राॅसिंग, सार्वजनिक स्थान, स्कूल-कॉलेज, मेन रोड आदि जगहों पर ही की जाती है। सभी लाइनों में गार्डिंग नहीं की जाती।
-केएल वर्मा, मुख्य अभियंता, जबलपुर रीजन
Created On :   17 April 2025 2:02 PM IST