Jabalpur News: खेत में लगाई मटर और पंजीयन कराया गेहूं का

खेत में लगाई मटर और पंजीयन कराया गेहूं का
  • कलेक्टर से की गई शिकायत, जांच की मांग, पुराना, सड़ा और खराब गेहूं विक्रय करके व्यापारी करेंगे कमाई
  • पाटन के किसानों ने कलेक्टर को इस मामले की शिकायत भी सौंपी है
  • कलेक्टर के निर्देश के बाद बहुत ही कम सिकमीनामे दर्ज हुए थे लेकिन गेहूं में अभी भी पंजीयन चल रहे हैं।

Jabalpur News: गेहूं उपार्जन में भी फर्जीवाड़े के जरिए कमाई के रास्ते निकाल लिए गए हैं। दावा किया जा रहा है कि सैकड़ों फर्जी पंजीयन कराकर अब सड़ा हुआ घटिया गेहूं खपाने की तैयारी है। इसके साथ ही कम कीमतों पर खरीदे गए गेहूं को भी समर्थन मूल्य पर बेचकर लाखों रुपए कमाए जाएंगे। पाटन के किसानों ने कलेक्टर को इस मामले की शिकायत भी सौंपी है, जिसमें कई खसरे नम्बर भी दिए गए हैं और कहा गया है कि जांच करा ली जाए।

वहां गेहूं लगा ही नहीं बल्कि पहले मटर फिर उड़द की फसल बोई गई थी। गेहूं विक्रय के लिए अभी तक 40 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। खेतों में कौन सी फसल बोई गई इसके लिए सर्वेयर और पटवारियों को जिम्मा दिया जाता है और वे गिरदावरी करके यह तय करते हैं कि किस किसान ने कौन सी फसल की बुवाई की है। इसी में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ और पाटन तथा कटंगी क्षेत्र में जिन किसानों ने मटर की फसल बोई थी, उन्होंने मटर के बाद उड़द की फसल लगा दी और गिरदावरी में गेहूं लिखवा लिया।

इस प्रकार अब वे अपना पंजीयन दलालों को बेचकर कमाई करेंगे और दलाल शासन को जमकर चूना लगाएंगे। वे पुराना सड़ा हुआ गेहूं खरीद लेते हैं और सांठगांठ करके उपार्जन केन्द्रों में उसका विक्रय कर देते हैं। इसके लिए वे उपार्जन केन्द्रों में भी लेन-देन करते हैं। यही कारण है कि सही किसान इस मामले में शिकायत कर रहे हैं।

धान में कलेक्टर ने लगाई थी लगाम

विक्रय के समय भी ऐसे मामले सामने आए थे और पंजीयन के दौरान कलेक्टर दीपक सक्सेना ने साफ निर्देश दिए थे कि सिकमीनामे पर होने वाले पंजीयन की विशेष जांच कराई जाए और उसके बाद ही सिकमीनामे दर्ज किए जाएं। सिकमीनामे के जरिए ही बहुत से व्यापारी उपार्जन की पूरी व्यवस्था को चौपट कर देते हैं और उनके दलाल इस पवित्र पेशे में घुस गए हैं। कलेक्टर के निर्देश के बाद बहुत ही कम सिकमीनामे दर्ज हुए थे लेकिन गेहूं में अभी भी पंजीयन चल रहे हैं।

ऐसा है गणित

किसी किसान ने अपने खेत में मटर और उड़द लगाई, लेकिन उसे कुछ रुपए मिलने का लालच दिया जाता है और उससे गेहूं का पंजीयन करवा लिया जाता है। सर्वेयर भी मिल जाते हैं और मामूली राशि में वे खेत में लगी मटर-उड़द की फसल की अनदेखी करते हुए गेहूं दर्ज कर देते हैं। अब दलाल किसान को पंजीयन के लिए एक निर्धारित रकम देता है।

उसके बाद उसके पंजीयन के जरिए वह सड़ा हुआ या बेहद घटिया गेहूं उपार्जन केन्द्र में बेच देता है। ऐसा न भी करे तो इन दिनों कृषि उपज मंडी में राेजाना 22 सौ से लेकर 24 सौ रुपए में गेहूं बिक रहा है। वहां से 22 सौ या 24 सौ में गेहूं खरीदकर उपार्जन केन्द्र में 26 सौ रुपए समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचकर आसानी से लाखों रुपए कमाए जा सकते हैं।

Created On :   17 April 2025 7:14 PM IST

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