केंद्र सरकार अकेले तय नहीं कर सकती हिंदी को आधिकारिक भाषा

Only Central government cannot decide Hindi as official language
केंद्र सरकार अकेले तय नहीं कर सकती हिंदी को आधिकारिक भाषा
केंद्र सरकार अकेले तय नहीं कर सकती हिंदी को आधिकारिक भाषा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्र सरकार अकेले देश की आधिकारिक भाषा नहीं तय कर सकती। यह तय करते समय राज्यों का पक्ष सुना जाना महत्वपूर्ण है। यह बात कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमे हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा घोषित करने की मांग की गई थी। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार अकेले देश की आधिकारिक भाषा तय नहीं कर सकता है। इस विषय पर राज्यों के पक्ष को सुना जाना काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि देश की आधिकारिक भाषा तय करने में उनकी भूमिका काफी अहम है। क्योंकि राज्यों के बिना केंद्र का वजूद कायम नहीं रह सकता। इसलिए राष्ट्र की अधिकारिक भाषा तय करने में राज्यों के पक्ष पर विचार किया जाना जरुरी है। 

इस विषय पर राष्ट्रभाषा महासंघ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में मुख्य रुप से अधिकारिक भाषा अधिनियम 1963 की वैधानिकता को चुनौती दी गई थी। इस कानून के तहत अंग्रेजी को 15 साल के लिए केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रावधान किया गया था। जिसे कानून के हिसाब से समय-समय पर बढाया जा सकता है। इस कानून के तहत हिंदी को तभी देश की आधिकारिक भाषा बनाया जा सकता है जब इससे संबंधित प्रस्ताव को सभी राज्य मंजूरी प्रदान करें। इसके बाद इस प्रस्ताव को संसद की मंजूरी मिलना जरुरी है। महासंघ ने याचिका में दावा किया था अधिकारिक भाषा अधिनियम के अंतर्गत  राज्यों को अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के रुप में प्राथमिकता देनेवाला प्रावधान असंवैधानिक है। केंद्र सरकार के पास देश की आधिकारिक भाषा तय करने का अधिकार है। इस विषय में राज्यों का हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है।

खंडपीठ ने याचिका में दिए गए इन तर्को पर गौर करने के बाद कहा कि देश की अधिकारिक भाषा के विषय में अंतिम निर्णय लेने में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। खंडपीठ ने कहा कि हमे अधिकारिक भाषा अधिनियम में कुछ भी असंवैधानिक नजर नहीं आता। राज्यों के पास संविधान के अंतर्गत भाषा के चयन का अधिकार है। राज्यों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपने यहां पर किस भाषा में कामकाज करेंगे। इसलिए याचिका में उठाई गई मांग पर विचार नहीं किया जा सकता है। यह कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। 
 

Created On :   17 March 2020 8:03 PM IST

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