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गड़चिरोली के 1105 गांवों में नक्सलियों की गांवबंदी ,ग्रामीणों ने किया विरोध
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। देश के नक्सल प्रभावित 90 जिलों की सूची में शुमार गड़चिरोली के आदिवासी ग्रामीणों ने अब नक्सलियों को किसी प्रकार की मदद नहीं करने का फैसला ले लिया है। पुलिस विभाग को लगातार मिल रहीं सफलता के चलते गड़चिरोली का नक्सलवाद पूरी तरह बैकफुट पर होकर वर्ष 2003 से आरंभ की गयी नक्सल गांवबंदी योजना के तहत अब तक जिले के 1 हजार 105 गांवों ने नक्सलियों को ग्राम प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है। बता दें कि इस योजना के तहत गांवों को विकास कार्य हेतु 3 लाख रुपयों की निधि दी जाती थी, लेकिन राज्य सरकार ने इस निधि में बढ़ोत्तरी करते हुए नक्सल गांवबंदी करने वाले गांवों को 6 लाख रुपए की निधि देने का ऐलान किया है। वर्ष 1980 से गड़चिरोली जिले में नक्सलवाद बदस्तूर जारी है। ग्रामीण क्षेत्र में दहशत पैदा करते हुए नक्सलियों द्वारा लगातार विकास कार्यों को विरोध दर्शाया जा रहा है। नक्सली सप्ताह के दौरान गांवों में प्रवेश कर ग्रामीणों की मदद से सड़कों पर पेड़ काटकर बिछाने के साथ रास्तों में बैनर लगाने व पर्चे फेंकने का कार्य किया जाता आ रहा है।
साथ ही बंद के दौरान यातायात को प्रभावित करने के साथ-साथ गांव के बाजार को बंद रखने का ऐलान भी नक्सलियों द्वारा किया जाता है। विकास कार्य में हर समय रोड़ा बनने के कारण गांवों का विकास अब तक अधर में लटका पड़ा है। ऐसे में जब तक नक्सलियों के गांव प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता, तब तक विकास कार्य करना असंभव होने के कारण राज्य सरकार ने वर्ष 2003 में नक्सल गांव बंदी योजना आरंभ की।
योजना के शुरुआती दौर से मिली सफलता के बाद
26 दिसंबर 2006 से गैर आदिवासी गांवों का भी योजना के तहत समावेश किया गया। वर्ष 2018 तक जिले के 1 हजार 105 गांवों ने नक्सलियों के गांव प्रवेश पर बंदी लगाते हुए जमीनी स्तर पर अनुदान से प्राप्त निधि की सहायता से विकास कार्यों को बढ़ावा दिया है। इस कार्य में पेसा कानून के तहत समाविष्ट कुछ ग्रामसभाओं ने भी गांवों को सहयोग प्रदान किया है। सरकार की गांवबंदी योजना के चलते भविष्य में नक्सलियों का आधार क्षेत्र पूरी तरह समाप्त होने के चित्र अब स्पष्ट रूप से देखे जा सकते है।
पुलिस की सुरक्षा में होंगे विकास कार्य
नक्सल गांवबंदी योजना के साथ सभी प्रकार की योजनाओं के तहत किये जा रहे विकास कार्यों में पुलिस विभाग सुरक्षा प्रदान करेगा। यह जिला पूरी तरह आदिवासियों का है। यहां नक्सली अपना आधार क्षेत्र निर्माण कर दहशत फैलाने की कोशिश में है। लेकिन ग्रामीणों ने अब स्वयं होकर नक्सलियों का विरोध जताना शुरू कर दिया है। नर्मदक्का जैसी बड़ी कैडर की गिरफ्तारी के बाद नक्सली पूरी तरह बैकफूट पर चले गए है। - शैलेश बलकवडे पुलिस अधीक्षक, गड़चिरोली
दीदी व दादा से पूछताछ जारी
दीदी के नाम से परिचित नर्मदक्का व दादा के नाम से नक्सली संगठनों में मशहूर किरण उर्फ किरणकुमार को सोमवार की रात गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय ने उन्हें 7 दिनों तक पुलिस की हिरासत में रखने के आदेश दिए है। वर्तमान में पुलिस के आला-अधिकारी जिला मुख्यालय में होकर दीदी व दादा से पूछताछ की जा रहीं है। हालांकि अब तक पूछताछ की जानकारी मीडिया कर्मियों से साझा नहीं की जा रहीं हैं। लेकिन नक्सली आंदोलन से जुड़ी कई अहम जानकारी दोनों से मिलने की संभावना व्यक्त की जा रहीं है।
Created On :   14 Jun 2019 9:38 AM GMT